
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। आरक्षण को लेकर ब्राह्मण बेटियों पर विवादित बयान देने वाले आईएएस संतोष वर्मा के फर्जी फैसला कांड में नया मोड़ आ गया है। जांच की जद में आए तत्कालीन स्पेशल जज विजेंद्रसिंह रावत ने सेशन कोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की है। पुलिस ने जमानत का विरोध करने की तैयारी की है। रावत 20 दिन पूर्व ही निलंबित हुए हैं। आईएएस संतोष वर्मा फर्जी फैसला कांड में सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर हैं। पुलिस विजेंद्रसिंह रावत को ही प्रमुख संदेही मान रही थी।
हाई कोर्ट से पूछताछ की अनुमति भी मांगी गई थी। हाल ही में हाई कोर्ट ने रावत को निलंबित किया और पूछताछ की अनुमति दे दी। भनक लगते ही रावत ने मंगलवार को सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दायर कर दी। उन्होंने पुलिस द्वारा लगाए आरोपों से इन्कार करते हुए कहा है कि वह खुद इस केस में फरियादी हैं। अब पुलिस रावत को अग्रिम जमानत देने का विरोध करेगी। एसीपी विनोद दीक्षित ने पुष्टि करते हुए कहा जज की जमानत का विरोध किया जाएगा।
पुलिस ने चार साल पूर्व ही रावत के खिलाफ सुबूत एकत्र करना शुरू कर दिया था। रावत के कोर्ट से जब्त कंप्यूटर की हार्ड डिस्क रिकवर करवाकर फर्जी फैसले की प्रति निकाल ली थी। इसके बाद टाइपिस्ट नीतूसिंह से पेनड्राइव जब्त कर उसको भी रिकवर करवा लिया। एसआईटी ने रावत को पत्र लिखकर मोबाइल मांगा। पांच बार रावत ने एक ही जवाब दिया कि मोबाइल टूट गया है।
रावत ने थाने पहुंचकर लिखवाई थी रिपोर्ट मामले में रोचक बात तो यह कि विजेंद्र रावत खुद फरियादी है। पुलिस इसलिए भी गिरफ्तारी से पीछे हट रही थी। वर्ष 2021 में रावत ने थाने पहुंचकर खुद ही रिपोर्ट लिखवाई थी। रावत की गिरफ्तारी से एक अन्य जज की मुश्किलें भी बढ़ सकती है। जिला कोर्ट में पदस्थ रहे उक्त जज के माध्यम से ही रावत और वर्मा में नजदीकियां बढ़ी थी। संदेही जज भी निलंबित हो चुके हैं।