नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। एमवाय अस्पताल में चूहे द्वारा कुतरने की लापरवाही प्रशासन कितने भी छुपाने की कोशिश कर लें, लेकिन यह सामने आ रही है। गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी घटना के संबंध में निरीक्षण करने पहुंचे। उनके साथ राज्य स्तरीय जांच समिति के सदस्य भी थे। आयुक्त और समिति के सदस्य पीडियाट्रिक सर्जरी वार्ड के अंदर जांच कर रहे थे, तभी गेट के बाहर चूहा आ गया। चूहा देख पेस्ट कंट्रोल और साफ-सफाई की जिम्मेदारी निभाने वाली एजाइल कंपनी के आठ से 10 कर्मचारी घबरा गए और उसे पकड़ने के लिए दौड़ लगाते हुए नजर आए।
वह पकड़ में नहीं आ सका। जिस वार्ड में चूहे द्वारा नवजातों को कुतरने की घटना हुई थी, उससे 50 मीटर की दूरी पर ही कॉकरोच नजर आए। यह कॉकरोच स्वजन के लिए लगी कुर्सियों पर घूम रहे थे। यह लापरवाही बताती है कि किस गंभीरता के साथ अस्पताल परिसर में पेस्ट कंट्रोल किया जा रहा है, क्योंकि पेस्ट कंट्रोल घटना के अगले ही दिन पूरे अस्पताल परिसर में करने का कंपनी ने दावा किया है। ऐसे में यह कॉकरोच यहां तक कैसे पहुंच गए।
धार निवासी बच्ची की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि बच्ची को तीन जगह चूहे के कुतरने के निशान हैं। जन स्वास्थ्य अभियान की शिकायत पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है। भोपाल से गुरुवार को आई राज्य स्तरीय जांच समिति के सदस्य सीधे अधीक्षक कार्यालय पहुंचे। इसके बाद वह एनआइसीयू पहुंचे। इस दौरान डीन और अधीक्षक को साथ आने से मना किया। यहां उन्होंने सभी लोगों से पूछताछ की।
जानकारी अनुसार सबसे पहले उन्होंने एचओडी डॉ. ब्रजेश लाहोटी को बुलाया। उन्होंने जवाब दिया कि घटना के दौरान अवकाश पर था। प्रभारी एचओडी डॉ. मनोज जोशी जवाब देने से बचते नजर आए। उन्हें फटकार भी लगाई। इसके बाद ड्यूटी पर तैनात नर्स श्वेता चौहान और आकांक्षा बेंजामिन को अलग-अलग बुलाया। इन्होंने जवाब दिया कि इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को पहले जानकारी दी थी कि यहां चूहे हैं, लेकिन ध्यान नहीं दिया। ड्यूटी डॉक्टर, नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट, सुरक्षाकर्मी सभी से करीब डेढ़ घंटे पूछताछ की। मरीजों की जानकारी ली और दस्तावेज देखें।
एचएलएल कंपनी के मैनेजर अतुल मराठा और एजाइल कंपनी के प्रदीप रघुवंशी को टीम ने जांच के लिए बुलाया था। पेस्ट कंट्रोल के संबंध में अधिकारियों को दस्तावेज दिखाए। इसमें नजर आई गड़बड़ी के कारण दोनों को फटकारा। कहा कि ईमानदारी से पेस्ट कंट्रोल होता तो चूहे वार्ड में नहीं घुसते। दोनों बाहर आए तो मुस्कुराते रहे।
आयुक्त राठी दोपहर 2.20 बजे निरीक्षण के लिए डीन और अधीक्षक के साथ पहुंचे। पीआइसीयू और एनआइसीयू देख खुश नहीं हुए। उन्होंने कायाकल्प के लिए प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए। प्राथमिक जांच में उन्होंने पाया कि पेस्ट कंट्रोल में कंपनी से गलती हुई है। बाहरी कंपनी से पेस्ट कंट्रोल के संबंध में जांच करवाई जाएगी।