Itarsi News: इटारसी, नवदुनिया प्रतिनिधि)। जबलपुर-इटारसी अप ट्रैक पर इटारसी से 11 किमी पहले गुर्रा स्टेशन के पास एक ही आकार में पटरियां फैलने की जांच शुरू हो गई है। जबलपुर मंडल ने इस घटना की जांच के लिए सुरक्षा, इंजीनियरिंग और सिग्नल विभाग की तीन सदस्यीय टीम गठित कर दी है। इस टीम में शामिल विभाग प्रमुख पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेंगे। अधिकारी सुबह 10 बजे अत्याधिक तापमान को फैलाव की वजह मान रहे हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मौके पर पहले से पीडल्यूआइ का किंक वर्क चल रहा था, वहां अचानक ज्यादा चाबियां खोलने से पटरियों की पकड़ कमजोर हो गईं और पटरियां फैल गईं। घबराए कर्मचारियों ने हादसा टालने के लिए संकेत बोर्ड लगा दिया।
साजिश की आशंका नहीं, फिर कैसे फैली पटरियां
जबलपुर मंडल के पीडब्ल्यूआइ प्रदीप कुमार ने बताया कि मंडल से गठित जांच दल पूरे मामले की जांच कर रहा है। मौके पर जाकर फैली हुई पटरियों, घटनास्थल एवं ट्रेन परिचालन के दौरान घटना की सूचना देने वाले पेट्रोलिंग कर्मचारियों के बयान लिए जाएंगे। घटना को लेकर किसी तरह की साजिश या रेल पथ से छेड़खानी करने जैसी बातों से अधिकारी इंकार कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि एक ही जगह पर आमने-सामने की करीब 10 मीटर पटरी खराब हो गई थी। तीन घंटे चले आपरेशन के बाद क्षतिग्रस्त पटरियों को काटकर नया ट्रैक बिछाकर यातायात सामान्य कर दिया गया है। बुधवार को हुई घटना के कारण करीब आधा दर्जन यात्री ट्रेनों को पिपरिया, सोहागपुर, बनखेड़ी एवं पीछे के स्टेशनों पर रोकना पड़ा था। दोपहर एक बजे वह मालगाड़ी भी इटारसी स्टेशन आ गई थी, जिसके आने से पहले रेलकर्मियों ने पटरियों को फैला देख इस ट्रेन को बोर्ड दिखाकर रुकवा दिया था।
अत्याधिक तापमान में होता है फैलाव
पीडब्ल्यूआइ प्रदीप कुमार ने बताया कि ठंड में अत्याधिक तापमान गिरने से पटरियां सिकुड़ती हैं, वहीं अत्याधिक गर्म होने पर पटरियों में फैलाव भी आता है। अत्याधिक गर्मी में रेल पटरी की लंबाई संपीड़न तनाव ग्रस्त होती है, इस प्रकार का तनाव सन किंक यानि पटरी फैलाव का कारण बनता है, इस वजह से पटरी फैलकर आड़ी-तिरछी हो जाती हैं। इस तरह के हादसों को रोकने के लिए ठंड और गर्मी में पेट्राेलिंग बढ़ाई जाती है। लगातार धूप में खुली पटरियां गर्म होने पर फैल जाती हैं। रेलवे संरक्षा में इसके लिए प्रोटोकाल भी बनाया गया है।
ब्लास्ट कमजोर होना भी वजह:
पेट्रोलिंग कर्मचारी बताते हैं कि स्लीपाट और रेलवे ट्रैक में कसावट रखने के लिए आसपास गिट्टी का भराव किया जाता है, इसे ब्लास्ट भी कहते हैं। कई बार गिट्टी भराव कमजोर होने से भी पटरियों में इस तरह फैलाव आ जाता है, हालांकि गुर्रा की घटना की सही वजह जांच के बाद ही सामने आएगी।
एक साथ तोड़ी चाबियां, फैली पटरियां तो लगाया प्रोटेक्शन
अफसर भले ही तापमान को फैलाव की वजह मान रहे हैं, लेकिन रेलवे सूत्रों ने बताया कि जहां फैलाव हुआ, वहां पहले से काम चल रहा था। बताया गया है कि रेलवे ट्रैक पर हर दिन मामूली फैलाव की समस्या आती है, जिसे किंक कहा जाता है, इस किंक को सही करने के लिए ही पेट्रोलिंग कर्मचारियों से एमबीसी की चाबियां खुलवाकर काम किया जाता है। बताया गया है कि कर्मचारियों ने एक साथ कई चाबियां खोल दी थीं, इससे अचानक पटरी दोनों तरफ से फैल गईं। जब हालात बेकाबू हुए तो कर्मचारियों ने प्रोटेक्शन के तहत मौके पर खतरे का बोर्ड लगा दिया। संयोग से मालगाड़ी काफी दूर थी, यदि गाड़ी तेज रफ्तार में होती तो इसे संभालना मुश्किल हो सकता था। कर्मचारी बताते हैं कि वे हर दिन किंक ठीक करने के लिए चाबियां खोलकर सब्बल से रेल पथ ठीक करते हैं। बुधवार सुबह भी यहां काम चल रहा था, हालांकि अधिकारी इसकी पुष्टि नहीं कर रहे हैं।
रेलवे में मचा हड़कंप
पिछले दिनों उड़ीसा में तीन ट्रेनों का भीषण हादसा होने के बाद रेल मंत्रालय ने रेल हादसों को लेकर बेहद सख्ती दिखाई है। जरा सी चूक होने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, यही वजह है कि गुर्रा में पटरी फैलाव की घटना को गंभीरता से लेकर इसकी जांच कराई जा रही है। अधिकारी खुद मान रहे हैं कि यदि इसी हालत में मालगाड़ी ट्रैक से गुजरती तो ट्रेन ड्रिलमेंट का शिकार हो सकती थी।
इनका कहना है
पटरियों से छेड़खानी या साजिश जैसी बात सामने नहीं आई है। तीन विभागों की टीम ने जांच शुरू कर दी है। जांच रिपोर्ट के बाद ही सही कारण की जानकारी दी जा सकती है। अत्याधिक तापमान होने पर पटरियों में फैलाव आता है।
प्रदीप कुमार, पीडब्ल्यूआइ, जबलपुर मंडल।