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नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में लगातार दो वर्षों तक देश में दूसरे स्थान पर रहने वाले जबलपुर नगर निगम के सामने बढ़ती ठंड और जनप्रतिनिधियों के दबाव ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। कड़ाके की सर्दी को देखते हुए निगम प्रशासन ने उन नियमों को फिलहाल किनारे कर दिया है, जो वायु गुणवत्ता शुद्ध रखने के लिए बनाए गए थे। शहर की आबोहवा को प्रदूषण से बचाने के बजाय अब जरूरतमंदों को राहत देने के लिए 35 स्थानों पर अलाव जलवाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए 22 लाख रुपये की लकड़ी खरीदी के टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। फिलहाल, उद्यान विभाग अपने स्तर पर लकड़ियों का वितरण कर रहा है।
शहर की वायु गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नगर निगम ने पहले लकड़ी वाले अलाव के बजाय इलेक्ट्रिक रूम हीटर का विकल्प तलाशा था। बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और नर्मदा तट जैसे सार्वजनिक स्थलों पर हीटर लगवाए गए थे। रैन बसेरों में भी हीटर की व्यवस्था की गई थी। हालांकि, यह प्रयोग सफल नहीं रहा क्योंकि हीटर जहां महंगे पड़ रहे थे, वहीं उनके चोरी होने की घटनाएं भी सामने आईं। अंततः नगर निगम ने अपने निर्णय बदलते हुए दोबारा पारंपरिक अलाव जलाने की ओर रुख किया है।
जबलपुर की आबोहवा को स्वच्छ रखने के लिए नगर निगम ने एक 100 दिनी कार्ययोजना तैयार की थी, जिसके तहत कई प्रतिबंध लगाए गए थे...
उद्यान विभाग ने अलाव जलाने के लिए शहर के 35 प्रमुख स्थानों को चिह्नित किया है। इनमें अंतरराज्यीय बस टर्मिनस (ISBT), रेलवे स्टेशन के बाहर, ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, वृद्धाश्रम, मेडिकल कॉलेज, विक्टोरिया और एल्गिन अस्पताल परिसर शामिल हैं। इन स्थानों पर नियमित लकड़ी आपूर्ति के लिए 22 लाख रुपये के टेंडर आमंत्रित किए गए हैं।
"लगातार बढ़ती सर्दी को देखते हुए 35 स्थानों पर अलाव जलवाने का निर्णय लिया गया है। लकड़ी खरीदी के टेंडर जारी किए गए हैं। रूम हीटर का विकल्प खर्च अधिक होने और चोरी की घटनाओं के कारण व्यावहारिक नहीं रहा।" - आलोक शुक्ला, उद्यान अधिकारी, नगर निगम
"वायु गुणवत्ता बनी रहे, इसके लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। लकड़ी के अलाव के अलावा जरूरतमंदों को ठंड से बचाने के लिए अन्य सुरक्षित विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है।" - अरविंद शाह, अपर आयुक्त, नगर निगम
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