ऊपर हाइवे-नीचे नहर... इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है जबलपुर का बरगी बांध, तकनीक कर देगी हैरान
नर्मदा नदी पर बना सबसे पहला बांध, बरगी बांध है, जो अब 35 साल का हो चुका है। यह बांध इंजीनियरिंग का नायाब नमूना पेश करता है। न सिर्फ बांध बल्कि नहर बनाने में भी इंजीनियरों की तकनीक हैरान करने वाली है। नर्मदा नदी के ऊपर नहर जिस पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहन दौड़ते हैं।
Publish Date: Mon, 15 Sep 2025 03:37:11 PM (IST)
Updated Date: Mon, 15 Sep 2025 03:37:10 PM (IST)
इंजीनियरिंग का नायाब नमूना है जबलपुर का बरगी बांध नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। नर्मदा नदी पर बना सबसे पहला बांध, बरगी बांध है, जो अब 35 साल का हो चुका है। यह बांध इंजीनियरिंग का नायाब नमूना पेश करता है। न सिर्फ बांध बल्कि नहर बनाने में भी इंजीनियरों की तकनीक हैरान करने वाली है। नर्मदा नदी के ऊपर नहर जिस पर राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहन दौड़ते हैं। बरगी बांध से नर्मदा नदी की रफ्तार पर नियंत्रण होता है।
1974 में बांध का निर्माण शुरू हुआ और 1990 में बांध भरकर चालू हुआ। यह पहला ऐसा बांध है जिसे बहुउद्देश्यीय उपयोग के लिए बनाया गया था। बांध से पीने का पानी, सिंचाई का पानी, विद्युत उत्पादन, मत्स्य उत्पादन, उद्योग के लिए पानी, बाढ़ नियंत्रण में सबसे ज्यादा लाभ हुआ। इतना ही नहीं सिंचाई के लिए इससे निकली बरगी डायवर्सन दायीं तट कटनी की तरफ जाने वाली केनाल प्रोजेक्ट है, यह भारत का पहला प्रोजेक्ट है जो नर्मदा बेसिन को गंगा को जोड़ता है।
बंजर जमीन को बना दिया हराभरा
नहर के जरिए सोन और नर्मदा को दोबारा मिला रहे हैं। इससे गंगा का वो क्षेत्र जहां सूखा था सतना और मैहर वाले इलाकों को नर्मदा से हरा-भरा किया गया। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता सुरेंद्र सिंह पवार, नौकरी की शुरुआत से सेवानिवृत्त होने तक जबलपुर में पदस्थ रहे। वे वर्ष 2017 में सेवानिवृत्त हुए। सुरेंद्र सिंह ने बताया कि नर्मदा के पानी चरगवां, पाटन, नरसिंहपुर क्षेत्र में कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने में अहम साबित हुआ। बांध बनने से पहले तक जहां कोटो कुटकी जैसे अनाज की पैदावार होती थी। नहरों से पानी खेतों तक पहुंचा तो 12 मासी फसलें होने लगी। नरसिंहपुर, गाडरवारा क्षेत्र में तो गन्ना की फसल के लिए पहचान बन गई। उन्होंने बताया कि बांध का 14556 वर्ग किलोमीटर जल ग्रहण क्षेत्र है। 75 किलोमीटर लंबी झील और 4.5 किलोमीटर चौड़ी है। ये कंपोजिट बांध है इसका मुख्य हिस्सा कंक्रीट का बना है दोनों तरफ मिट्टी का बना है। 1974 में निर्माण शुरू हुआ। 1990 में डैम भरकर चालू हुआ। बांध की ऊंचाई 69.8 मीटर है लंबाई 5.357 किलोमीटर है। मैन्युअली डैम में पानी भराव के लिए है 422.76 मीटर पानी भरा जाता है।
बाढ़ को करता है नियंत्रित
सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता सुरेंद्र सिंह पवार ने बताया कि नर्मदा पर प्रमुख चार बांध हैं जिसमें बरगी बांध के जरिए बरगी बांध पानी का बहाव बाढ् को यहीं से खंभात की खाड़ी तक नियंत्रित किया जाता है। नर्मदा नदी पर जबलपुर, सनावद, खंडवा, नवागांव में बांध है। बरगी सबसे बड़ा है। नर्मदा पर पांच बांध है। बरगी डायर्वन दायी तट कटनी की तरफ जाने वाली कैनाल प्रोजेक्ट है यह भारत का पहला प्रोजेक्ट था जो नर्मदा बेसिन को गंगा को जोड़ता है। सोन और नर्मदा दोबारा मिला रहे हैं। गंगा का वो क्षेत्र जहां सूखा था। नर्मदा के पानी से सतना और मैहर वाले इलाकों को हराभरा बनाने में मदद मिली। दो नहर निकली है जो बाए तरफ और दूसरी दाय तरफ जाती है। दाए तरफ की नहर की लंबाई 137 किमी है। इससे 1.57 लाख हेक्टेयर सिंचाई होती है। वहीं दाएं तरफ निकली नहर की लंबाई 197.4 किमी है। यह 2.45 लाख हेक्टेयर सिंचाई कवर करती है।
सिल्ट नहीं होती जमा
भौगोलिक स्थिति में बरगी बांध में तीन जिले भराव में आते हैं जबलपुर, सिवनी और मंडला। कार्यपालन अभियंता सुरेंद्र सिंह ने कहा कि यहां सिल्ट नहीं होती इसकी वजह मंडला और सिवनी के कैचमेंट एरिया में घने जंगल होना है इस वजह से मिट्टी का कटाव कम होता है। इस बांध से 105 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता है। इसमें मुख्य रूप से 45-45 मेगावाट की दो यूनिट है। इसके अलावा दो नहरों पर कुल 15 मेगावाट की इकाई लगी है। भूकंप में भी नहीं डिगा- 22 मई 1997 को जबलपुर में 6.2 रिएक्टर क्षमता का भूकंप आया। इसमें भी बरगी बांध को कोई क्षति नहीं हुई। जबलपुर जोन तीन में आता है। भूकंप के बाद नुकसान का आंकलन करने आइआइटी रूढ़की और दिल्ली से इंजीनियरों की टीम आई लेकिन कोई कमी नहीं मिली। डैम में 21 गेट है जिन्हें केंद्रीयकृत तरीके से एक स्थान से ही नियंत्रित किया जाता है।
ऊपर हाइवे नीचे नहर
नर्मदा नदी पर बरगी बांध बना हुआ है बरगी बांध का पानी कई नहरो के जरिए जबलपुर, नरसिंहपुर और कटनी जिलों के लिए भेजा जाता है। बरगी बांध की एक नहर बांध से लगभग 25 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के ऊपर से ही नर्मदा नदी को पार करते हुए निकलती है। यह आगे जबलपुर के मझौली पाटन इलाके में पानी पहुंचती है। इसके ऊपर राष्ट्रीय राजमार्ग है। लगभग 30 साल पहले इस नहर का निर्माण हुआ था। उस समय देश की पहली ऐसी नहर थी जो नदी के ऊपर नहर जिसके ऊपर सड़क का निर्माण हुआ था। यह एक्वा डक्ट नर्मदा नदी के तल से लगभग 100 फीट ऊपर से बहती है। नर्मदा नदी के ऊपर इसकी लंबाई लगभग 300 मीटर है। नर्मदा नदी पर छोटे और बड़े लगभग 21 पिलर इस पुल के नीचे हैं, जो इस नहर को थामे हुए हैं।
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