नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। रैपुरा स्थित ठाकुर फार्म में 19 घोड़ों की मौत के बाद घोड़ों के मालिक सचिन तिवारी और हैदराबाद की फर्म हेथा नेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर दी गई है। यह कार्रवाई कलेक्टर दीपक सक्सेना के निर्देश पर पशुपालन विभाग की ओर से पनागर थाने में हुई। मामला पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम-1960 की धारा 11 (1)(घ) एवं भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा-325 के तहत दर्ज किया गया।
दरअसल हैदराबाद से जबलपुर लाए गए 57 घोड़ों में से अब तक 19 की मौत हो चुकी है। अब सिर्फ 38 घोड़े ही शेष रह गए हैं। सूत्रों की माने तो इन्हें हैदराबाद से जबलपुर लाने और फिर यहां रखने के दौरान हुई लापरवाही की गई, जिससे यह बीमार हुए। इसके बाद वेटरनरी डॉक्टर की टीम इन्हें बचाने में जुटी रही, लेकिन एक-एक कर घोड़ों की मौत होती रही। दो सप्ताह पूर्व करीब सात और घोड़े मर गए। इसे संज्ञान लेते हुए कलेक्टर दीपक सक्सेना ने वेटरनरी विभाग से अधिकारियों को तलब किया और मामले की गंभीरता को देखते हुए मामला दर्ज करा दिया है।
पुलिस ने पशु प्रजनन कार्यक्रम अधिकारी की रिपोर्ट पर सोमवार दोपहर को हैदराबाद की कंपनी और परिवहन कर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसमें पुलिस ने बताया कि घोड़ों को सड़क परिवहन के माध्यम से जबलपुर लाया गया था। परिवहन में किसी प्रकार की सूचना जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग को नहीं दी गई। इन घोड़ों को ग्राम रैपुरा में स्थापित करने के लिए ग्राम पंचायत रैपुरा से अनुमति ली गई थी। यहां रखने के दौरान घोड़ें बीमार हो गए और इनमें से 19 की मौत हो गई थी।
पुलिस की जांच में सामने आया है कि आरोपियों पर पशुओं का क्रूरतापूर्वक परिवहन, क्रूरतापूर्ण बंद और अपर्याप्त आश्रय दिया था, जिससे आरोपियों पर क्रूरता के अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया।
घोड़ों की मौत से पशुपालन विभाग हरकत में आया। प्रजनन कार्यक्रम अधिकारी डॉ हेमलता जैन ने मौके पर मुआयना करके घोड़ों का इलाज भी किया गया था, जहां इन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि घोड़ों को अस्तबल की जगह गाय-भैंस के तबेले में बांध दिया गया था। परिवहन कर्ता पटेल नगर, महाराजपुर निवासी सचिन तिवारी ने अपने बयान में बताया था कि घोड़ों की मौत परिवहन तनाव, वातावरण बदलाव और गर्मी से हुई है।
इसमें पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने उनके घोड़ों का गंभीरता से इलाज किया। उन्होंने कहा कि घोड़े अधिक उम्र के थे, इसलिए परिवहन के दौरान उन्हें परेशानी हुई। इधर विभाग के मुताबिक घोड़ों को हैदराबाद से जबलपुर लाने के दौरान चोट भी लगी, जिससे उनकी हालात और बिगड़ गई।
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पशुपालन विभाग नोडल अधिकारी डॉ. ज्योति तिवारी ने कहा कि देवरी के रेपुरा में जिन घोड़ों को रखा गया है, उन सभी की समय-समय पर जांच की गई। इनके सैम्पल लेकर जांच भी कराई गई, किसी में भी ग्लैंडर नामक बीमारी नहीं मिली। इसके बाद भी हमने इसका प्रोटोकॉल फॉलो किया, ताकि किसी तरह की लापरवाही न हो।