नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने बालाघाट जिले में दोहरे हत्याकांड व दुष्कर्म के आरोप में मृत्युदंड की सजा प्राप्त गिरधानी सोनवाने को बरी कर दिया। यही नहीं अनुचित तरीके से तीन वर्ष छह माह जेल में रखने के एवज में एक लाख रुपये हर्जाना दिए जाने की भी राहत दे दी।
कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि एक बेगुनाह को अधिक समय तक जेल में रखना न्याय के मूल सिद्धांतों के सर्वथा विपरीत है। हाई कोर्ट ने सुनवाई में पाया कि पुलिस जांच में गंभीर खामियां थीं। गवाहों के बयानों में विसंगतियां थीं और आरोपित को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त साक्ष्य मौजूद नहीं थे। अदालत ने बालाघाट पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि बिना ठोस सबूत किसी को दोषी ठहराना न्याय प्रणाली की मूल भावना के सर्वथा विरुद्ध है।
दरअसल, बलाघाट जिला अदालत की विशेष न्यायाधीश कविता इवनाती की कोर्ट ने मामले को विरल से विरलतम की श्रेणी में रखते हुए गिरधारी को मृत्युदंड की सजा सुना दी थी। जिसके बाद मामला कंफर्मेशन के जरिए हाई कोर्ट आया। साथ ही गिरधारी की ओर से मृत्युदंड की सजा के विरुद्ध हाई कोर्ट में अपील भी की गई थी।
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चार अप्रैल, 2022 को बालाघाट जिले के तिरोड़ी थाना क्षेत्र स्थित ग्राम चिटकादेवरी के नहर में दो मासूम बहनों के शव मिले थे। बच्चियों की उम्र क्रमशः तीन साल और पांच साल 11 माह थी। पुलिस जांच के अनुसार बच्चियों के साथ दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज मामले ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था। मृतक बच्चियों के पिता ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि परिवार रिश्तेदारी में गया हुआ था और इसी दौरान यह वारदात हुई।
बालाघाट की विशेष अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत 23 गवाहों के बयानों और पुलिस जांच रिपोर्ट के आधार पर सोनवाने को फांसी की सजा सुनाई थी। अभियोजन ने दावा किया था कि सोनवाने का बच्चियों के परिवार से पुराना विवाद था और शक था कि परिवार जादू-टोना करता है। इस वजह से उसने बच्चियों को बहला-फुसलाकर जंगल में ले जाकर दुष्कर्म किया और हत्या कर शव नहर में फेंक दिए।