पंकज तिवारी , जबलपुर नईदुनिया । प्रदेश की यूनिवर्सिटी में नैक मूल्यांकन की स्थिति खराब है। वक्त बीतने के बावजूद यूनिवर्सिटी राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद को मूल्यांकन के लिए नहीं बुला रही है। प्रदेश की 6 परम्परागत यूनिवर्सिटी में सिर्फ इंदौर की देवी अहिल्याबाई यूनिवर्सिटी में नैक मूल्यांकन वक्त पर हो रहा है। सिर्फ यहीं नहीं प्रदेशभर की यूनिवर्सिटी में श्रेष्ठ ग्रेड ए डबल प्लस हासिल किया। इसके अलावा जबलपुर समेत उज्जैन,भोपाल,ग्वालियर,रीवा की किसी भी यूनिवर्सिटी ने न वक्त पर नैक मूल्यांकन कराया न ही इसकी तैयारी पूरी की। अब हालात ये है कि नैक मूल्यांकन के लिए पहले देरी में चल रही तैयारी कोरोना में और लेटलतीफ हो रही है।
ग्रेड कैसे और क्या फायदें: राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद एक स्वयंत संस्था है जो परम्परागत,तकनीकी,निजी कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर मूल्यांकन कर ग्रेड देती है। मूल्यांकन अलग—अलग मापदंड पर होता है। जिस संस्थान का बेहतर ग्रेड उसकी गुणवत्ता उतनी बेहतर आंकी जाती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग,तकनीकी शिक्षा,एनसीईटीई के अलावा अन्य संस्थान ग्रेड के आधार पर गुणवत्ता आंकते हैं इसके अलावा रिसर्च अथवा अन्य कार्य के लिए अनुदान में भी ग्रेड की भूमिका अहम होती है। नैक से हर पांच साल के लिए ग्रेड मिलता है। अवधि पूर्ण होने से पहले दोबारा मूल्यांकन के लिए आवेदन संस्था को करना होता है।
ये है यूनिवर्सिटी में नैक मूल्यांकन का हाल
अवधेश प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी रीवा— 2016 में नैक से बी ग्रेड मिला। ये दूसरे चक्र का मूल्यांकन हुआ। इससे पहले 2003 में नैक से सी डबल प्लस ग्रेड मिली थी। तीसरा चक्र की अवधि प्रारंभ हो रही लेकिन मूल्यांकन नहीं हुआ।
बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल— 2015 में बी ग्रेड नैक से मिला। ये दूसरा चक्र का मूल्यांकन था। इससे पहले 2003 में भी बी ग्रेड पहले मूल्यांकन में मिला था। अभी तीसरा चक्र की अवधि शुरू हो गई है। मूल्यांकन की तैयारी अटकी।
देवी अहिल्याबाई यूनिवर्सिटी इंदौर— 2019 में नैक से ए डबल प्लस ग्रेड हासिल किया। चतुर्थ चक्र का मूल्यांकन कराया। नैक मूल्यांकन की शुरूआत 2000 से हुई। फिर 2008 और 2014 में दूसरा और तीसरा मूल्यांकन हुआ। तय समय में बेहतर ग्रेड का प्रदर्शन करने वाली एकमात्र यूनिवर्सिटी है।
केंद्रीय हरिसिंह गौर यूनिवर्सिटी सागर— 2015 में तीसरे चरण का मूल्यांकन नैक से हुआ। जिसमें ए ग्रेड मिला। इससे पहले 2001 और 2007 में मूल्यांकन हुआ है। अभी चतुर्थ चक्र प्रांरभ हो गया है। लेकिन मूल्यांकन नहीं हो सका।
जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर— 2015 में नैक से दूसरे चरण का मूल्यांकन हुआ। जिसमें ए ग्रेड मिला। पहला चरण 2002 में हुआ। अभी तक तीसरे चरण की तैयारी चल रही है।
रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी जबलपुर— साल 2015 में दूसरे चरण का नैक मूल्यांकन हुआ। जिसमें बी ग्रेड मिला। इसमें पहले चरण का मूल्यांकन साल 2002 में हुआ था जिसमें बी डबल प्लस ग्रेड मिला था।
विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन— साल 2015 में नैक मूल्यांकन का दूसरा चरण हुआ। जिसमें ए ग्रेड मिला। इससे पहले फोर स्टार 2002 में नैक से मिला था। अवधि पूरी हो चुकी है लेकिन नैक की तैयारी हो रही है।
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वर्जन..
नैक से जुड़ी तैयारियां ज्यादातर संस्थानों में हो चुकी है लेकिन कोरोना संक्रमण वजह से आवेदन नहीं हो पाए है। नैक से मूल्यांकन के लिए जो प्राध्यापक और अधिकारी भी कार्य कर रहे थे वो कोरोना संक्रमण की जद में आ गए है। ऐसे में नैक से थोड़ा वक्त सभी कुलपति मांग रहे हैं।
डॉ.अखिलेश पांडे,कुलपति विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन