
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में कार्यपालन अभियंता मुकेश सिंह को बर्खास्त कर दिया। मंगलवार को जारी आदेश के अनुसार उन पर मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का आरोप है, जिन्हें कोर्ट में लगाकर अल्ट्राट्रेक कंपनी ने 8.50 करोड़ रुपये का हर्जाना छह प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश करा लिया। इस वित्तीय क्षति के लिए कंपनी ने कार्यपालन अभियंता को जवाबदेह माना है। उन्होंने जांच प्रक्रिया में लगातार असहयोग किया और विलंब करने का पूरा प्रयास किया।
मुकेश सिंह विगत छह सितम्बर 2018 से 14 जनवरी 2021 तक संचालन एवं संधारण संभाग, शहडोल में पदस्थ थे। इस दौरान उन्होंने मेसर्स अल्ट्राटेक सीमेंट (विचारपुर कोलमाइन्स) के 33 केवी उच्चदाब कनेक्शन के संबंध में लाइन के हैंडओवर की वास्तविक तिथि पांच मार्च 2019 को कूटरचित कर एक मार्च 2019 अंकित कर दी। यह परिवर्तन उपभोक्ता को विद्युत शुल्क की छूट का पात्र बनाने के उद्देश्य से किया गया था, क्योंकि वास्तविक तिथि छूट अवधि के बाद की थी।
दूसरा आरोप ये है कि उन्होंने कार्य पूर्णता प्रतिवेदन के संबंध में कूटरचित दस्तावेज को प्रमाणित करने के लिए अधीक्षण अभियंता को भ्रामक जानकारी दी, जिससे कार्य पूर्णता की तिथियों को उपभोक्ता को छूट का पात्र बनाने के लिए बदला गया। इन दस्तावेज़ के आधार पर हाई कोर्ट ने छह मई 2024 को अल्ट्राटेक सीमेंट के पक्ष में 8.50 करोड़ रुपये का भुगतान छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित किए जाने का आदेश पारित किया था। जिसके बाद मुकेश सिंह को 16 दिसम्बर 2024 को निलंबित कर दिया गया था।
विभागीय जांच में स्पष्ट पाया गया कि मुकेश सिंह द्वारा ही दो भिन्न-भिन्न कार्यपूर्णता एवं हैंडओवर प्रतिवेदन जारी किए गए थे, जिनमें 01 मार्च 2019 का पत्रक स्पष्ट रूप से कूटरचित था और दोनों पर उनके हस्ताक्षर थे। प्रबंध संचालक अनय द्विवेदी ने मुकेश सिंह का अभ्यावेदन अमान्य कर उन्हें मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम 10 के तहत तत्काल प्रभाव से कंपनी सेवाओं से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया।
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