नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने मध्य प्रदेश के होमगार्ड का काल ऑफ समाप्त कर दिया है। इस बारे में 10 हजार होमगार्ड ने 490 याचिकाएं दायर की थीं। लंबी सुनवाई के बाद सुरक्षित किया गया आदेश शुक्रवार को सुनाया गया। इसके तहत अब प्रदेश के होमगार्ड को पूरे 12 माह रोजगार मिलेगा। साथ ही अन्य लाभ भी दिए जाएंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विकास महावर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि काल आफ प्रक्रिया और उससे संबंधित प्रविधान असंवैधानिक घोषित किए जाने योग्य हैं।
आपातकाल में पुलिस की सहायता हेतु एक स्वयंसेवी संगठन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए होमगार्ड बनाया गया था। शुरुआत में होमगार्ड की सेवाएं केवल आपातकालीन समय में ली जाती थीं, परंतु वर्ष 1962 से होमगार्ड नियमित रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन उन्हें हर वर्ष दो से तीन माह के लिए काल ऑफ कर दिया जाता था, जबकि संगठन के अन्य अधिकारियों व सैनिकों को नियमित कर पूरे वर्ष कार्य दिया जाता था।
उक्त भेदभावपूर्ण रवैये व होमगार्ड की बदतर सेवा शर्त के विरुद्ध 2008 में मानव अधिकार आयोग में कई शिकायतें की गईं और मानव अधिकार आयोग ने विस्तृत जांच पश्चात राज्य शासन को होमगार्ड अधिनियम के स्थान पर नया विधान लाने व काल ऑफ प्रक्रिया को खत्म करने की अनुशंसा की। मानवाधिकार आयोग की अनुशंसा पर कोई कार्यवाही शासन द्वारा नहीं की गई, जिस वजह से वर्ष 2011 में होमगार्ड संगठन द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की गई। उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर शासन को नए विधान बनाने हेतु आदेशित कर स्पष्ट रूप से काल ऑफ समाप्त करने हेतु आदेश दिए। इसके विरुद्ध शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई, परंतु हाई कोर्ट का आदेश यथावत रहा।
यह भी पढ़ें- GST दरों में कटौती से बढ़ने वाली है MP सरकार की परेशानी, आगामी बजट पर पड़ सकता है असर, जानें क्यों
इसी दौरान न्यायालय के निर्देशानुसार कमेटी का गठन किया गया और आलोच्य नियम व आदेश पारित किए गए और वर्ष में दो माह का काल ऑफ का प्रावधान रखा गया, जबकि काल ऑफ प्रक्रिया उच्च न्यायालय ने समाप्त कर दी थी। इसके विरुद्ध ये याचिकाएं प्रस्तुत की गई थीं, जिनमें अंतरिम आदेश पारित किए गए। याचिका के लंबित रहते शासन ने नियम में बदलाव कर तीन वर्ष में दो माह का काल ऑफ का प्रविधान किया, जिसे भी न्यायालय में अमेंडमेंट कर चैलेंज किया गया।
काल ऑफ प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 23 के विपरीत है। होमगार्ड संगठन पूर्व में एक स्वयंसेवी संगठन था, परंतु अब ये एक नियमित संगठन बन चुका है और होमगार्ड समस्त कार्य कर रहे हैं। ऐसी दशा में उनसे भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए एवं पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाना चाहिए, जिससे वे अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें।
राज्य शासन द्वारा याचिकाओं पर आपत्ति ली गई और कहा गया कि होमगार्ड संगठन एक स्वयंसेवी संगठन है एवं इन्हें पूरे वर्ष कार्य पर नहीं रखा जा सकता। विस्तृत सुनवाई पश्चात हाई कोर्ट ने अपने फैसले में काल ऑफ प्रक्रिया समाप्त करने के आदेश देते हुए सभी होमगार्ड जवानों को पूरे वर्ष कार्य पर रखने और समस्त लाभ प्रदान करने के आदेश दिए।