
Gun Carriage Factory Jabalpur: आलोक बनर्जी, जबलपुर। भारतीय सेना के आर्टिलरी डिवीजन के लिए अब तक बेहतरीन लाइट फील्ड गन (एलएफजी) बनाने वाली गन कैरेज फैक्ट्री (जीसीएफ) जबलपुर की ख्याति देश के बाहर भी है। इसका ताजा उदाहरण पड़ोसी देश बांग्लादेश की उस पेशकश से सामने आया है, जिसमें वहां की सेना से जुड़े दो शीर्ष अधिकारियों ने निर्माणी का दौरा किया और फैक्ट्री प्रबंधन के सामने अपने देश के लिए 150 एलएफजी बनाने का प्रस्ताव दिया।
सूत्रों के अनुसार जीसीएफ ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए प्रबंधन स्तर पर चर्चा के बाद अपने निर्णय से अवगत कराने की बात कही है। सौदे को लेकर चर्चा फाइनल होती है तो नए वित्तीय वर्ष यानी 2024-25 में जीसीएफ को नया आर्डर मिल सकता है।
बता दें कि आर्डनेंस फैक्ट्री के रूप में जीसीएफ, जबलपुर का स्थान देश की 41 निर्माणियों में अग्रणी है। यहां वर्ष 1972 से सेना के लिए एलएफजी बनती रही है। यह युद्ध क्षेत्र में सेना के लिए काफी सहायक रही है। कुशल टीम की मदद से जीसीएफ पूर्व में एक साल में सर्वाधिक 72 गन बनाने का रिकार्ड बना चुकी है।

सामान्य तौर पर वह सालाना 50 गन का उत्पादन करती रही है। पहले यह गन मार्क-1 व मार्क-2 नाम से विकसित हुई, बाद में इसे एलएफजी नाम दिया गया। वजन में कम होने की वजह से इसका परिवहन आसान होता रहा है। इसकी मारक क्षमता 17 से 19 किलोमीटर तक है।
निगमीकरण के बाद आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) को भंग कर देश की सभी 41 आयुध निर्माणियों को सात इकाइयों में बांट दिया गया है। जीसीएफ जबलपुर वर्तमान में एडवांस वैपन एंड इक्विपमेंट कंपनी लिमिटेड की इकाई है। हालांकि, निर्माणी के कर्मचारी अब भी रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करते हैं।
नए आर्डर और आय बढ़ाने के मकसद से कंपनियों के प्रतिनिधि रक्षा क्षेत्र अन्य देश से संपर्क में रहते हैं, ताकि अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर सकें। सूत्रों की मानें तो अभी यह नया सौदा रेट को लेकर फाइनल होना है। प्रति गन की कीमत तय होते ही उत्पादन को हरी झंडी मिल जाएगी। ऐसे में एडवांस वैपन एंड इक्विपमेंट कंपनी रक्षा मंत्रालय से जानकारी साझा करेगा और सरकार की सहमति के बाद एलएफजी की सप्लाई का रास्ता साफ होगा।