नईदुनिया, जबलपुर। परसवाड़ा-जमतरा मार्ग की खस्ताहाल स्थिति और अवैध डेयरियों व पोल्ट्री फार्मों की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होने को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।
न्यायमूर्ति द्वारिकाधीश बंसल की एकलपीठ ने जबलपुर कलेक्टर को अवमानना नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि मई 2025 में दिए गए स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अब तक ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए।
यह जनहित याचिका जबलपुर निवासी अधिवक्ता मोहित वर्मा द्वारा दाखिल की गई थी। उन्होंने याचिका में उल्लेख किया कि ग्राम परसवाड़ा और जमतरा की सड़कों पर भारी वाहनों की अवैध आवाजाही दिन-रात जारी है। डंपर, पानी के टैंकर और भूसे से भरे ट्रक ग्रामीण सड़कों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर रहे हैं।
पहले करीब आठ फीट चौड़ी सड़क अब गड्ढों और कटाव के कारण महज चार से छह फीट की रह गई है, जिससे स्थानीय लोगों, खासकर स्कूली बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को आवागमन में भारी परेशानी हो रही है।
याचिका में यह भी बताया गया कि परसवाड़ा, गौर, बरेला जैसे गांवों में बड़ी संख्या में डेयरियां और पोल्ट्री फार्म बिना किसी वैधानिक अनुमति और पर्यावरणीय मानकों के संचालित हो रहे हैं। ये संस्थान गोबर, पेशाब और दूषित जल का निष्कासन खुले में कर रहे हैं, जिससे सड़क किनारे बहने वाली नालियां जाम हो जाती हैं और गांव की गलियों में कीचड़, बदबू और गंदगी फैल जाती है। गर्मी के मौसम में मच्छर और मक्खियों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना रहता है।
हाई कोर्ट ने मई 2025 में कलेक्टर को चार सप्ताह के भीतर उक्त समस्याओं पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। साथ ही यह भी कहा गया था कि यदि याचिकाकर्ता कलेक्टर की कार्रवाई से संतुष्ट न हो, तो वह उपयुक्त फोरम में पुनः शिकायत कर सकता है। लेकिन निर्धारित समय सीमा बीत जाने के बाद भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, जिस पर अब न्यायालय ने नाराजगी जताई है।