नईदुनिया न्यूज, जुन्नारदेव। इस आदिवासी अंचल के उपपंजीयक कार्यालय में भ्रष्टाचार की एक बड़ी कारगुजारी का खुलासा हो गया है। यहां पर एक बड़े मामले में बीते दिवस जुन्नारदेव पुलिस ने कल 6 लोगों पर मामला दर्ज करते हुए तीन आरोपी सतपाल पाल पिता बुद्धू पाल, मालती जायसवाल एवं ओवेश खान पिता शेख अख्तर को गिरफ्तार न्यायालय में पेश कर दिया गया। जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।
जुन्नारदेव पुलिस ने फर्जीवाड़े के इस मामले में अपराध क्रमांक 0327/ 2025 में भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120 बी, 419, 420, 467, 468 और 471 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है। नगर निरीक्षक राकेश बघेल एवं उप निरीक्षक मुकेश डोंगरे ने बताया कि इस मामले में भू माफिया सतपाल पाल, इंद्र सिंह चौहान, मालती जायसवाल, चंद्रपाल पवार , ओवेस खान और अजेश सूर्यवंशी को आरोपी बनाया है। फिलहाल पुलिस अन्य तीन आरोपियों की पतासाजी में जुटी हुई है।
आदिवासी अंचल जुन्नारदेव के सुकरी गांव में खसरा क्रमांक 483/9 का रकबा 0.300 की मालिक ललिता बाई यदुवंशी ने 2003 में सावित्रीबाई के बीच सौदा कर लिया गया था। इस जमीन को सावित्री बाई के परिजनों ने कब्जे में ले लिया था, लेकिन इसका नामांतरण अभी बाकी था। पुलिस ने अपनी इस जांच में बताया कि विक्रेता ललिता बाई यदुवंशी ने 2003 में सुकरी स्थित इस भूमि की रजिस्ट्री क्रेता सावित्रीबाई को कर दी थी लेकिन सावित्री बाई की मृत्यु हो जाने के कारण उसका नामांतरण नहीं हुआ था। इसी बीच वर्ष 2014 में विक्रेता ललिता बाई यदुवंशी की भी मृत्यु हो गई।
इसके बाद इस मामले की जानकारी भू माफिया सत्यपाल नामक युवक को हुआ जिसने यही भूमि इंद्र सिंह चौहान पिता बाबूलाल सिंह चौहान निवासी वार्ड क्रमांक 15 को फर्जी रूप से बचने का निश्चय कर लिया। इसने यहां पर फर्जी रूप से मालती जायसवाल को ललिता बाई के नाम से खड़ा कर स्टांप वेंडर चंद्रपाल पवार की मदद से आधार कार्ड में कूट रचना कर जमीन की रजिस्ट्री कर दी। मामले का खुलासा पीड़ित परिवार के द्वारा जिला कलेक्टर को शिकायत करने के बाद हुआ। जिस पर पुलिस ने फौरी कार्रवाई करते हुए उक्त मामला दर्ज कर आज तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। अभी इस मामले में शेष तीन आरोपी फरार है।
जुन्नारदेव पुलिस के द्वारा यह मामले की शिकायत प्राप्त होने के बाद लगभग चार महीने की बड़ी जद्दोजहद के बाद बीते दिवस ही मामले को दर्ज किया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि इस मामले की सूक्ष्म रूप से जांच किए जाने पर मामले में और आरोपियों की संख्या बढ़ जाने से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले में गौरतलब है की तहसील कार्यालय और उप पंजीयक कार्यालय की भी अहम भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। पीड़ित परिवार ने इस मामले में जांच के दायरे में इन दोनों ही कार्यालय के प्रमुख अधिकारी और कर्मचारी को भी जांच के दायरे में लेने की मांग पुलिस प्रशासन से की है।
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इस आदिवासी अंचल में भोले भाले आदिवासियों सहित अन्य आम जनता की भूमिका गोलमाल बड़ी तेजी से हो रहा है। इसका बड़ा स्रोत इस क्षेत्र का उपपंजीयक कार्यालय को माना जा रहा है। यहां पर पदस्थ अधिकारी के द्वारा कथित रूप से सप्ताह के तीन दिन ही परासिया से आना-जाना कर शासकीय कार्य किया जाता है। इसी बीच इस कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी के द्वारा कथित रूप से कई रजिस्ट्री में बड़े गोलमाल भी किए जाने की संभावनाएं मानी जा रही है। पुलिस के द्वारा इसी कार्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की यदि निष्पक्षता एवं सूक्ष्मता से जांच की जाती है तो निश्चित रूप से अप पंजीयक कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी सहित तहसील कार्यालय के आला अधिकारियों पर भी इस जांच की आंच आ सकती है।