
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। जबलपुर में एक दर्दनाक घटना में दो सगे भाईयों की मौत हो गई। दोनों भाई अपने साथियों के क्रिकेट खेल रहे थे। उनकी गेंद अस्पताल परिसर के अंदर चली गई। गेंद ढूंढने के लिए दोनों भाई अस्पताल की चारदीवारी से अंदर कूदे। सीधे वहां बने सेप्टिक टैंक के अंदर जा गिरे। जिसके अंदर डूबने और दम घुटने से उनकी मौत हो गई। मृतक में त्रिमूर्ति नगर निवासी राजेश विश्वकर्मा के बेटे विनायक उर्फ तन्नू (12) व कान्हा (10) है। घटना के लिए अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को जिम्मेदार माना जा रहा है। जिसने सेप्टिक टैंक का खुला छोड़ दिया था। मौके पर झाड़ियां होने के कारण टैंक का खुला ढक्कन नजर नहीं आ रहा था। जिसके कारण यह हादसा हो गया।
रविवार को अवकाश होने पर तन्नू और कान्हा मोहल्ले के बच्चों के साथ क्रिकेट खेल रहे थे। तभी उनकी गेंद पास में बने मनमोहन नगर सामुदायिक अस्पताल के अंदर चली गई। गेंद वापस लाने के लिए दोनों भाई अस्पताल की चारदीवारी पर चढ़े और अंदर कूद गए। काफी देर के बाद भी जब दोनों भाई गेंद लेकर नहीं लौटे तो साथी बच्चों ने उन्हें आवाज लगाई। लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। तब बच्चों ने घर पर जाकर अभिभावकों को घटना के बारे में बताया। आसपास के लोग तुरंत मौके पर पहुंचे। पुलिस को बुलाया गया। काफी देर तक ढूंढने पर भी दोनों वहां नहीं मिले।
अस्पताल परिसर में दोनों भाई नहीं मिले तो पुलिस ने झाड़ियों के आसपास छानबीन की। जहां, पर एक भाई की चप्पल मिली। उसके पास ही सेप्टिक टैंक का ढक्कन खुला दिखा। उनके टैंक में गिरने की आशंका हुई। पुलिस ने नगर निगम का दल बुलाया। अंधेरा होने के कारण अस्थाई विद्युत प्रकाश व्यवस्था की गई। उसके बद टैंक को खाली किया गया। जिससे दोनों बच्चों का शव बाहर निकला।
घटना ने अस्पताल के जिम्मेदारों का कुप्रबंधन उजगार किया है। सेप्टिक टैंक का ढक्कर खुला छोड़ना बड़ी लापरवाही है। मौके पर झाड़ियों का होना सफाई व्यवस्था की कमी को भी सामने लाता है। यदि सेप्टिक टैंक का ढक्कन चोरी हुआ था या किसी कारण से हटाया गया था, तो वहां किसी प्रकार चेतावनी बोर्ड नहीं लगाना चूक बताता है। यहां तक किसी को जाने से रोकने के लिए सुरक्षा कर्मी भी नहीं थे।
गोहलपुर पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है। दोनों भाईयों के शव को पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल अस्पताल में मरचुरी में रखा गया है। पुलिस अस्पताल प्रबंधन से ढक्कन खुला छोड़ने को लेकर पूछताछ कर रही है। घटना के बाद टैंक खाली करते समय किसी जिम्मेदार के मौके पर नहीं आने को भी संदिग्ध माना जा रहा है।
दोनों भाईयों की मौत के बाद मोहल्ले में सन्नाटा पसर गया। उनका अस्पताल प्रबंधक के प्रति आक्रोश भी पनपा। वहीं, दोनों बच्चों की मौत ने उसके पिता राजेश और मां किरण को गहरा आघात लगा है। जैसे ही दोनों बच्चे के शव बाहर निकाले गए मां किरण बदहवास हाे गई। उसे पड़ोसियों ने जैसे तैसे संभाला।
करीब 7 साल पहले मनमोहन नगर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आरंभ हुआ। प्रतिदिन ढाई सौ मरीज ओपीडी में स्वास्थ्य जांच के लिए आते हैं। इतने बड़े अस्पताल परिसर में टैंक को खोल छोड़ दिया जाना स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाती हैं।
सीएमएचओ डॉक्टर संजय मिश्रा के पास काफी समय से स्वास्थ्य विभाग की कमान है। मनमोहन नगर अस्पताल में उन्होंने प्रथम दृष्टया कैंपस सुपरवाइजर को दोषी माना और उसे तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया। एक छोटे कर्मचारियों को बर्खास्त कर अपना दायित्व पूरा कर लिया जबकि उसे परिसर का मुखिया उनकी नजरों में बेदाग है।
मनमोहन नगर अस्पताल जहां आसपास के क्षेत्र से बड़ी संख्या में मरीज उपचार को आते हैं, उसके प्रभारी का चार्ज वर्तमान में डॉक्टर अंशुल शुक्ला के पास है। उनके प्रभारी रहते हुए इतनी बड़ी घटना हो गई और उन्हें टैंक खुला नजर नहीं आया। जबकि वह कहते हैं कि टैंक के ढक्कन हम कई बार बदलवाते हैं और असामाजिक तत्व चोरी कर ले जाते हैं। अस्पताल के प्रभारी होने के बावजूद जिम्मेदारी से बसे हुए पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि अस्पताल चार दिवारी से घिरा हुआ है फिर नन्हे बच्चे परिसर में कैसे दाखिल हो सकते हैं, स्वाभाविक रूप से गेट बंद ही नहीं होता है।