
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। नगरीय निकायों के अधिकारी-कर्मचारियों की उपस्थिति की निगरानी सुनिश्चित करने एवं कार्यप्रणाली में पारदर्शी लाने के उद्देश्य से लागू की गई ई-अटेंडेंस में जबलपुर नगर निगम आगे हैं। इंदौर-भोपाल जैसे शहरों के मुकाबले फेस रिकॉग्निशन (चेहरे की पहचान) के आधार पर जबलपुर नगर निगम के लगभग 62 प्रतिशत अधिकारी-कर्मचारी हाजिरी लगाने लगे हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो जबलपुर नगर निगम में 8 हजार 782 नियमित, संविदा के अलावा चार हजार से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी पंजीकृत है, जिसमें लगभग 5 हजार 400 अधिकारी-कर्मचारी ई-अटेंडेंस लगा रहे हैं।
हालांकि इनमें अब भी शत प्रतिशत ई-अटेंडेंस नही लग रही है, जबकि इंदौर नगर निगम में 25 हजार 445 में से लगभग 13 हजार 600 ही ई-अटेंडेंस लगा रहे हैं। हालांकि यहां भी आउटसोर्स कर्मियों का आंकड़ा ज्यादा है। वहीं भोपाल में 19 हजार 996 पंजीकृत अधिकारी, कर्मचारियों में से लगभग 12 हजार 500 ही ई-अटेंडेंस लगवा रहे हैं।
फिलहाल इन आंकड़ों पर यकीन करें तो संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास से जारी आदेश में जबलपुर नगर निगम ई-अटेंडेंस प्रक्रिया को अपनाने में आगे नजर आ रहा हैं। विदित हो कि नगरीय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों की उपस्थिति केवल फेस रिकॉग्निशन (चेहरे की पहचान) के आधार पर ही मान्य होगी। नवंबर माह का वेतन भी ई-अटेंडेंस के आधार पर देय होगा।
-शासन स्तर पर प्रदेश भर के नगरीय निकायों में अनिवार्य किए गए ई-अटेंडेंस लगवाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी है।
- ई-अटेंडेंस फेस रिकग्निशन यानि चेहरा पहचान बायोमेट्रिक तकनीक से स्मार्ट फोन के माध्यम से अटेंडेंस लगाने से पहले कर्मचारियों की उपस्थिति को जियो स्पेशल लोकेशन से जोड़ा गया है ताकि उनकी उपस्थित कार्यालय पहुंचकर या संबंधित बीट के दायरे पर आने पर ही दर्ज हो।
- निगम नगर निगम मुख्यालय सहित सभी 16 जोन कार्यालय के नियमित, संविदा अधिकारी-कर्मचारियों के साथ ही ठेकेदार व उनके कर्मचारियों को मोबाइल के माध्यम से ई-अटेंडेंस लगाने का प्रशिक्षण दिया गया। बताया गया कि ई-अटेंडेंस के लिए अपने कार्यालय के परिसर के दायरे से ही लगाना होगा।
- स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और ठेकेदारों को सुबह-सुबह बीटवार सफाई कर्मचारियों को स्मार्ट फोन के माध्यम से अपनी-अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कराने पर जोर दिया गया।
निगमायुक्त रामप्रकाश अहिरवार लगातार बैठकें कर समीक्षा कर रहें। ई अटेंडेंस के नोडल अधिकारी, सहायक नोडल भी ई-अटेंडेंस की निगरानी कर रहे। जिन कर्मचारियों की ई-अटेंडेंस आधार कार्ड या अन्य तकनीकी कारणों से नही लग रही उसका भी निदान करवाते हुए अटेंडेंस सुनिश्चित करवा रहे हैं।
बहरहाल फेस रिकाग्निशन (चेहरे की पहचान) अाधारित ई-अटेंडेंस की अनिवार्यता के बाद उन कर्मचारियों का पता चलेगा जो कागजाें में तो दर्ज हैं, परंतु कार्यालय नही आते। खासतौर से आउट सोर्स के नाम पर किए जा रहा फर्जी भुगतान पर रोक लगेगी। क्योंकि विभागीय अधिकारियों की सांठगाव से ये खेल हो रहा है। सफाई के नाम पर वार्डों में 40-40 सफाई कर्मचारी भेजने का दावा कर भुगतान तो ले लेते हैं परंतु वास्तव में आधे कर्मचारी भी वार्डों में नहीं भेज रहे हैं। निरीक्षण के दौरान इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें वार्ड स्तर पर सुपरवाइजर के साथ मिलकर ऐसे दो उपस्थिति रजिस्टर बनाए गए थे जिनमें से एक में मौजूद सफाई कर्मचारियों की वास्तविक उपस्थिति और दूसरे में फर्जी उपस्थिति दर्ज पाई गई। ठेकेदारों पर जुर्माना भी लगाया गया था। जो कर्मचारी अब भी अटेंडेंस नही लगा रहे वे संदेह के घेरे में आ सकते हैं।
- फरवरी 2022 में की गई जांच के दौरान कई ऐसे कर्मचारियों का पता चला था, जो 11 वर्षों से गायब थे, परंतु उनका वेतन निकलता रहा।
-31 अगस्त 2022 को ऐसे पांच कर्मचारियों और सामने आए जिनका निलंबन कर सेवा समाप्ति की कार्रवाई की गई थी।
-सितंबर 2022 में ऐसे करीब 35 कर्मचारी और जांच में सामने आए थे जो लगातार कार्य से गायब थे, जिनके खिलाफ विभागीय जांच प्रस्तावित की गई थी।
निकाय - पंजीकृत - ई अटेंडेंस लग रही
जबलपुर - 8,782 - 5,446
इंदौर - 25,445 - 13613
भोपाल - 19,996 - 12,495
ग्वालियर - 8,070 - 4,916
उज्जैन - 5,969 - 3, 957
नोट- ये आंकड़े गत दिनों बैठक में पेश किए गए थे। हाजिरी लगाने वालों की संख्या में आंशिक रूप से बढ़ोतरी संभावित है।
नगर निगम में ई-अटेंडेंस फेस रिकग्निशन लागू हो गई है। नगर निगम में आठ हजार से ज्यादा अधिकारी कर्मचारी पंजीकृत है। इनमें से करीब 65 प्रतिशत की अटेंडेंस प्रदर्शित हो रही है, शेष कर्मचारी क्यों नही लगा रहे या कोई समस्या यह भी देखा जा रहा है- वीएन बाजपेयी, अपर आयुक्त नगर निगम।