
जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के आरोपितों की जमानत अर्जियां तीसरी बार भी खारिज कर दीं। न्यायमूर्ति विष्णु प्रताप सिंह चौहान की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान आपत्तिकर्ता पीड़िता की ओर से अधिवक्ता रामकृपाल सोनी ने जमानत अर्जियों का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि उमरिया निवासी आवेदकों ने न केवल दुष्कर्म जैसा आत्मा को घायल कर देने वाला जघन्य दुष्कृत्य किया बल्कि जातिसूचक अपशब्दों के जरिए पीड़िता का अपमान भी किया। इससे पीड़िता को गहरी चोट पहुंची है। इस तरह के कृत्य करने के आरोपितों को जमानत का लाभ दिए जाने पर समाज में बहुत बुरा संदेश जाएगा। लिहाजा, जमानत आवेदन निरस्त किए जाने योग्य हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि पहले जमानत आवेदन से दूसरे जमानत आवेदन के बीच परिस्थितियां यथावत हैं। यदि जमानत का लाभ मिला तो आरोपित बाहर आकर प्रकरण से जुड़े साक्ष्यों व गवाहों आदि को प्रभावित कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने इस आशंका को गंभीरता से लेते हुए जमानत आवेदन दूसरी बार भी खारिज कर दिए।
विशेष न्यायाधीश इंद्रा सिंह की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने मूक बधिर दिव्यांग बालिका से छेड़छाड़ के आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी।। अभियोजन की ओर से अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी स्मृतिलता बरकड़े ने अर्जी का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि 17 अगस्त,2020 को पीड़िता ने अपनी मां के साथ थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई। भाषा विशेषज्ञ अमरेशचंद तिवारी के समक्ष बयान दर्ज किया गया। शिकायत में बताया गया कि आरोपित ने अपने घर बुलाकर दरवाजा बंद किया और निर्वस्त्र करने की कोशिश की। अदालत ने सभी बिंदुओं पर गौर करने के बाद प्रकरण गंभीर प्रकृति का पाते हुए जमानत से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा इस तरह के मामले चिंताजनक हैं। अतः नरमी नहीं बरत सकते।