
जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। कहते हैं पढ़ने-लिखने के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं होता। शिक्षा किसी भी उम्र में हासिल की जा सकती है। इसी अवधारणा को आत्मसात कर शनिवार को पढ़ना-लिखना अभियान के तहत चेतना केंद्रों में अध्ययन कर चुके जिले के 17 हजार 820 असाक्षरों ने बुनियादी साक्षरता परीक्षा दी। इसमें 15 वर्ष से लेकर हर उम्र के वे लोग शामिल रहे जिन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता। लेकिन शिक्षा की ऐसी ललक जागी कि वे उम्र का बंधन तोड़ न सिर्फ चेतना केंद्र मसलन शासकीय स्कूल, आंगनबाड़ी व अन्य माध्यमों से पढ़ना लिखना सीखा बल्कि परीक्षा में भी शामिल हुए। खास बात ये रही कि परीक्षा देने वालों में पुरूषों के मुकाबले महिलाओं की उपस्थिति अधिक रही।
नौ ब्लाकों में हुई परीक्षा : शनिवार को पढ़ना-लिखना अभियान के तहत जिले के नौ विकासखंडों के एक हजार 385 चेतना केंद्रों में बुनियादी साक्षरता परीक्षा आयोजित की गई। जिसमें 17 हजार 820 असाक्षरों ने उत्साहपूर्वक परीक्षा दी। सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक आयोजित तीन-तीन घंटे की पाली में परीक्षा आयोजित की गई। जिसमें स्वेच्छा से असाक्षरों ने सहभागिता की। कार्यक्रम की सतत निगरानी के लिए जिला स्तर से लेकर ब्लाक स्तर के अधिकारियों की तैनाती की गई थी। जिसमें जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी योगेश शर्मा, अजय रजक, प्रकाश चंदेल, चंद्रभान शिल्पकार नरेंद्र साहू, आरके उपाध्याय, श्वेता श्रीवास्तव, इंद्रमणि त्रिपाठी, मनोज पांडे, चिंतामन यादव, नरेश पटेल, सुशील श्रीवास्तव, बिंदु गुप्ता, बृजेश श्रीवास्तव, पीएल रैदास, इंद्र पुरी गोस्वामी, सरोज रजक परीक्षा को सफल बनाया।
क्या है पढ़ना लिखना अभियान : दरअसल असाक्षरों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में वर्ष 2030 तक युवा एवं प्रौढ़ साक्षरता दर को 100 प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने में संस्थागत, व्यक्तिगत और सामाजिक संगठन से जुड़े सभी व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के असाक्षर व्यक्तियों की निरक्षरता उन्मूलन के लिए साक्षरता कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। भारत सरकार शिक्षा मंत्रालय द्वारा निरक्षरों को साक्षर करने हेतु मार्च 2022 तक पढ़ना-लिखना अभियान संचालित करने की स्वीकृति प्रदान की गई थी। और इसके पश्चात यह कार्यक्रम नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के नाम से अप्रैल 2022 से 2027 तक संचालित होगा।