Jabalpur Railway Division : जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। रेलवे ने सामाजिक सरोकार का दायित्व निभाते हुए एक स्टेशन-एक उत्पाद योजना शुरू की है। इसके जरिए रेलवे ने स्टेशनों से लगे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों के कलाकारों के उत्पाद की ब्रांडिंग का काम किया। इसके लिए जबलपुर रेल मंडल ने 10 स्टेशनों को चुना। रेलवे ने हर एक स्टेशन पर पांच लाख रुपये खर्च करके स्थानीय उत्पाद को प्रदर्शित करने आकर्षक स्टाल भी बनवाए। इसके बावजूद रेलवे न तो स्थानीय कलाकारों के उत्पाद की ब्रांडिंग में मदद कर सका और न ही स्टाल पर रखने के लिए नए-नए उत्पाद तलाश सका। एक स्टेशन-एक उत्पाद योजना शुरू हुए छह माह ही हुए हैं और हकीकत यह है कि 10 में से एक स्टेशन के स्टाल को बंद कर दिया गया है। बाकी शेष 9 स्टाल पर हर 15 दिन में भी उत्पाद नहीं बदले जा रहे। एक ही उत्पाद को महीनों से स्टाल पर सजाकर रखा गया है।
रेलवे के स्टोर ने स्टाल पर किए लाखों खर्च :
एक स्टेशन-एक उत्पाद योजना को रेलवे बोर्ड ने शुरू कर इस पर खुद निगरानी रखी। रेलवे स्टेशन पर इस योजना के आकर्षक स्टाल को रखने के लिए जबलपुर रेल मंडल के स्टोर विभाग ने लाखों रुपये खर्च भी किए। यहां तक की किसी तरह स्थानीय कलाकार और स्वयंसेवी संस्थानों के उत्पाद को स्टेशन तक लाया और स्टालों पर सजाया भी। पर जब कलाकारों को यहां अच्छा व्यापार और फायदा नहीं दिखा तो वे यहां से चले गए। इधर, अन्य उत्पाद न आने पर कई ने इसका फायदा उठाया और अपने उत्पाद को स्टाल पर सजा दिया। यह उत्पाद महीनों से सजे हैं, जबकि एक कलाकार या स्वयंसेवी संस्थान को स्टाल पर अपने उत्पाद रखने के लिए सिर्फ 15 दिन का ही समय देना था।
15 दिन में दिया आवेदन, जमा लिया अधिकार :
जबलपुर रेल मंडल के जबलपुर, कटनी, मुड़वारा, मदनमहल, सतना, सागर, पिपरिया, दमोह, रीवा स्टेशन पर स्टाल चालू हैं। नरसिंहपुर स्टेशन के स्टाल को बंद कर दिया गया है। जिन 9 स्टेशनों में अभी स्टाल चलाए जा रहे हैं, उनमें एक सिर्फ जबलपुर और रीवा में ही नियम से चल रहे हैं। बाकी स्टेशनों में इन स्टाल में प्रदर्शित करने के लिए उत्पाद तलाशने में रेलवे असफल रहा। यहां पर हालात यह है कि एक ही कलाकार या स्वयंसेवी संस्था हर 15 दिन में रेलवे को अपना आवेदन और एक हजार रुपये शुल्क देकर महीनों से अपने उत्पाद यहां प्रदर्शित कर रहे हैं।
योजना के परिणाम देख नहीं कराया शुभारंभ :
छह माह पूर्व शुरू की गई एक स्टेशन-एक उत्पाद योजना के खराब परिणाम सामने आ गए हैं। रेलवे के मुताबिक इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को करना था। वीडियो कांफ्रेंस के जरिए अक्टूबर और फिर दिसंबर माह में इस योजना के शुभारंभ की रेलवे ने तैयारी भी की थी। सूत्रों के मुताबिक इस योजना को रेलवे ने ज्यादा महत्व नहीं दिया, जिससे इसके बेहतर परिणाम सामने नहीं आए। इसी वजह से छह माह बाद भी इसका शुभारंभ नहीं करवाया गया।
योजना की खामियां :
- असफलता की मुख्य वजह स्टाल को रखने सही जगह का चयन नहीं किया गया।
- कलाकारों से रेलवे के अधिकारी-कर्मचारी का सीधा संपर्क नहीं हुआ।
- 15 दिन से एक माह तक ही समय कलाकार को उत्पाद रखने दिया गया।
- कई नियम में आड़े आए, जिससे कलाकार इन स्टाल पर नहीं पहुंच सके।
एक उत्पाद-एक स्टेशन योजना मंडल में संचालित है। पूरा प्रयास है कि हर बार उत्पाद को बदलकर प्रदर्शित कराया जाए। योजना को बेहतर बनाने की दिशा में भी हम काम कर रहे हैं।
-विश्वरंजन, सीनियर डीसीएम