नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। दूध विक्रेताओं ने एक बार फिर मनमाने तरीके से त्यौहारों के ठीक पहले दूध के दाम बढ़ा दिए। अचानक की गई इस मनमानी बढ़ोत्तरी से मध्यम और गरीब वर्ग खासा प्रभावित हुआ है। बच्चों को दी जाने वाली दूध की मात्रा भी कम होने लगी है। परंतु हैरानी की बात है कि जिला प्रशासन अब भी दूध के बढ़े दामों पर चुप्पी साधे बैठा है। जानकारों की मानें तो गो पालन में उपयोग होने वाली खाद्य सामग्री चारा, भूसा और रखरखाव जितना महंगा हुआ नहीं है उससे अधिक का हल्ला मचा कर दूधियों ने दूध के दामों में मनमानी बढ़ोत्तरी की है।
जबकि शहरी क्षेत्र से कुछ मात्र किलोमीटर की दूरी में स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में और कस्बों में आज भी अच्छी किस्म का गाय और भैंस का दूध 50 से 55 रुपए लीटर मिल रहा है। जबकि जबलपुर में दूध के दाम 65-70 रुपये लीटर से बढ़ाकर 73 रुपये कर दिए गए हैं। हालांकि, कुछ जगह अब भी दूध 65 से 68 रुपये लीटर ही बिक रहा है।
इधर दूध के बढ़े दामों पर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने भी आपत्ति जताई है। मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे ने जारी बयान में बताया कि समूचे प्रदेश में महानगरों में अकेला जबलपुर ही ऐसा शहर है जहां दूध के रेट सर्वाधिक है। दूध के रेट फैट प्रतिशत के आधार पर भी निर्धारित नहीं है, जबकि भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर आदि महानगरों में दूध के रेट फैट प्रतिशत के आधार पर तय किये जाते हैं।
डॉ नाजपांडे, रजत मार्गय, डीआर. लखेरा, सुशीला कनौजिया, गीता पांडे ने बताया कि जिला प्रशासन को अवगत कराया गया है कि भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर में छह प्रतिशत फैट का दूध औसतन 65 से 68 रू. प्रति लीटर है। इसमें पैकेजिंग तथा पाश्चुराइजेशन की कीमत दो रुपये प्रति लीटर जोड़ी गई है। अतः यह दो रुपये घटा दिया जाये तो इन महानगरों में दूध के असली रेट 63 से 66 रुपये लीटर है।
इन महानगरों में उपभोक्ताओं को फैट प्रतिशत की जानकारी दूध पैकेजों पर दी जाती है क्योंकि इन महानगरों में 90 प्रतिशत दूध पैकेज्ड है। जबलपुर में 90 प्रतिशत दूध खुला बेचा जाता है इस कारण उपभोक्ताओं को फैट प्रतिशत के जानकारी से वंचित किया जाता है। यहां ऐसा खुला दूध 73 रुपये लीटर है जो महानगरों की तुलना में आठ से 10 रुपये प्रति लीटर के भाव से महंगा है।
भैंसा का दूध - 5 प्रतिशत
गाय का दूध - 3 प्रतिशत
मिश्रित दूध- 4.5 प्रतिशत
स्टेंडर्ड दूध - 4.5 प्रतिशत
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