
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को स्कूल फीस के लिए नोटिस भेजे जाने के रवैये पर हाई कोर्ट ने फटकार लगाई। यही नहीं इस मामले में जवाब पेश करने सरकार की ओर से समय मांगे जाने के रवैये पर तल्ख टिप्पणी करते हुए आगामी सुनवाई तिथि तक हर हाल में जवाब पेश करने के सख्त निर्देश दे दिए।
दरअसल, तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को मुफ्त शिक्षा का आश्वासन दिया था। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन ने फीस के लिए नोटिस जारी कर दिया। जिसका समाचार प्रकाशित होने पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने संज्ञान के आधार पर जनहित याचिका बताैर सुनवाई की व्यवस्था दे दी। पूर्व सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने शपथ पत्र पर जवाब पेश करने कहा था। लेकिन ऐसा करने के स्थान पर समय चाहा गया, इस पर कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि इतने संवेदनशील व जनहित याचिका के प्रकरण में इस तरह शर्मनाक है।
मंदसौर जिले में जून, 2018 में सात वर्षीय स्कूली छात्रा अपहरण के बाद सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई थी। दो बार गला काटकर उसकी हत्या की कोशिश तक की गई थी। चिकित्सकों ने समय पर इलाज करके उसे बचा लिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बच्ची और उसकी बहन की निश्शुल्क स्कूली शिक्षा का भरोसा दिलाया था।
दोनों का इंदौर के एक निजी स्कूल में एडमिशन करा दिया गया। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन, जिला शिक्षा अधिकारी व कलेक्टर इंदोर की ओर से 14 लाख स्कूल फीस बकाया होने की नोटिस भेज दिया गया। पत्र में कहा गया कि सरकार ने स्कूल को दिए गए पत्र में यह साफ नहीं किया था कि स्कूल फीस का भुगतान कौन करेगा।
हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई हुई। जिसके बाद मामला मुख्यपीठ जबलपुर ट्रांसफर हो गया। सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता के अब भी उत्पीडन से गुजरने के रवैये को गंभीरता से लेकर सुनवाई को गति दी गई। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने हाई कोर्ट ने मप्र के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग, कलेक्टर व स्कूल प्रबंधन को भी नोटिस जारी कर शपथ-पत्र पर जवाब पेश करने निर्देश दिए थे।