
जबलपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। जिस पर हत्या का आरोप लगा, वही घायल को अस्पताल ले गया था। आरोपित के पास से कोई हथियार भी बरामद नहीं हुआ। दरअसल, दुर्घटना के दौरान श्वास-नली में चोट के कारण मृत्यु हुई। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने इन तर्कों से सहमत होकर आवेदक सिहोरा निवासी सोनू बर्मन को जमानत का लाभ दे दिया।
आवेदक की ओर से डिंडौरी निवासी अधिवक्ता गिरीश राव ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आवेदक बेगुनाह है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को इलाज के लिए फौरन अस्पताल ले जाना भी अपराध है। आवेदक का पुराना आपराधिक रिकार्ड नहीं है।
खितौला, सिहोरा थाने की पुलिस ने महज संदेह के आधार पर उसे हत्या का आरोपित बना लिया। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि उसका हत्या करने का कोई इरादा नहीं था। यही वजह है कि पुलिस ने उसके पास से कोई हथियार बरामद नहीं किया। वह जिसके सामने खड़ा था, वह दुर्घटनावश नीचे गिर गया। इसी दौरान उसकी गर्दन में चोट लग गई। उसकी श्वास-नली क्षतिग्रस्त होने से मृत्यु हो गई। इसके पूर्व आवेदक उसे तत्काल अस्पताल ले गया।
इससे साफ है कि आवेदक का अपराध का इरादा नहीं था, जो हुआ वजह महज दुर्घटना थी। हाई कोर्ट ने तर्क सुनने के बाद 40 हजार के मुचलके पर जमानत अर्जी मंजूर कर ली। यह शर्त भी लगाई कि वह ट्रायल कोर्ट में उपस्थिति दर्ज कराता रहे।