नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण मामले की सुनवाई करते हुए राज्य शासन पर एक के बाद एक सवाल दागे। हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि जब पुरानी पॉलिसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और मामला विचाराधीन है तो नई पालिसी क्यों लाई गई। कोर्ट ने यह भी पूछा कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने कहा है तो यहां नए नियम के तहत क्यों दिए जा रहे प्रमोशन। सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन याचिकाएं यदि स्वीकार की जाती हैं तो नए के तहत किए जाने वाले पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ेगा। यदि याचिकाएं निरस्त होती हैं तो नए नियम के तहत किए जाने वाली पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
- पूछा गया- जब पुरानी पालिसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और मामला विचाराधीन है तो नई पालिसी क्यों लाई गई
- यह भी पूछा- सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने कहा है तो यहां नए नियम के तहत क्यों दिए जा रहे प्रमोशन
- सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन याचिकाएं यदि स्वीकार की जाती हैं तो नए के तहत किए जाने वाले पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ेगा
- यदि याचिकाएं निरस्त होती हैं तो नए नियम के तहत किए जाने वाली पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ेगा
- राज्य शासन ने कहा-सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से परिपत्र जारी कर वर्तमान स्थिति पर स्पष्टीकरण जारी करेंगे
- हाई कोर्ट ने कहा-अब स्पष्टीकरण आने के बाद सुनवाई करेंगे, अगली सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की गई
मंगलवार को सुनवाई के दौरान मप्र शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन व महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने अवगत कराया कि सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से परिपत्र जारी कर वर्तमान स्थिति पर स्पष्टीकरण जारी करेंगे। कोर्ट ने कहा अब स्पष्टीकरण आने के बाद सुनवाई करेंगे। अगली सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की गई है। महाधिवक्ता द्वारा पूर्व में दी गई मौखिक अंडरटेकिंग के चलते फिलहाल नई पॉलिसी से प्रमोशन रुके हुए हैं।
राजधारनी भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं में मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि वर्ष 2002 के नियमों को हाई कोर्ट के द्वारा आरबी राय के केस में समाप्त किया जा चुका है। इसके विरुद्ध मप्र शासन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी लंबित है, इसके बावजूद मप्र शासन ने महज नाममात्र का शाब्दिक परिवर्तन कर जस के तस नियम बना दिए।
अजाक्स संघ सहित आरक्षित वर्ग की ओर से अनेक अधिकारियों व कर्मचारियों ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की हैं। उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, रामेश्वर सिंह ठाकुर, आकाश चौधरी, विनायक प्रसाद शाह, वरुण ठाकुर ने सरकारी विभागों मे प्रतिनिधित्व के क्वांटिफाइबल डेटा प्रस्तुत किए। याचिकाओं में आरक्षण के विरोध वाले याचिकाकर्ताओं के प्रभावित होने वाले विधिक अधिकार पर उठाया प्रश्न। अब सभी मामलों पर अब एक साथ सुनवाई होगी।
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