
नईदुनिया, जबलपुर (Teacher's Day 2024)। गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाएं, बलिहारी गुरु आपने दियो बताए। कहते बिना गुरु के सन नहीं होता है। भगवान ने धरती पर जन्म लिया तो वे भी अपने गुरु की शरण में गुरुकुल गए थे। कुछ शिक्षक जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को गोद लेकर उनका भविष्य गढ़ रहे हैं। वे इन बच्चों की न सिर्फ परवरिश का जिम्मा उठाते हैं बल्कि शिक्षा की भी पूरी व्यवस्था करते हैं।
मानकुंवर बाई कालेज की शिक्षिका डा. सुलेखा मिश्रा ने मंडला के आसपास रहने वाले गांव को तीन बच्चों को गोद लिया था। इसमें से एक अब सरकारी कार्यालय में पदस्थ है। शेष दो नगर के स्कूल और कालेज में अध्यापन कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही माडल हाईस्कूल, केंद्रीय विद्यालय सीएमएम, एमएलबी स्कूल की कुछ शिक्षिकाओं ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं। स्कूल में प्रवेश लेने वाले तमाम जरूरतमंद बच्चों के शिक्षण शुल्क का जिम्मा उन्होंने उठा लिया है।
मानकुंवर बाई कालेज की शिक्षिका डा सुलेखा मिश्रा ने चार बच्चों को गोद लिया था, जिसमें से दो अब नौकरीपेशा हो गए हैं। दो अभी भी पढ़ाई कर रहे हैं। शिवकुमारी उद्दे मानकुंवर बाई कालेज में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है। वहीं आकाश मरावी माडल हाई स्कूल में बारहवीं का छात्र है। दोनों ने बताया कि अगर वे यहां नहीं आते तो उनका भविष्य उज्ज्वल नहीं हो पाता।
शिवकुमारी ने बताया कि मैडम गांव में किसी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बनकर आई थीं। तभी उनसे मुलाकात हुई। फिर उन्होंने मां-पापा से मुझे जबलपुर लाकर पढ़ाने की बात कहीं। वे मान गए और मैं उनके साथ जबलपुर आ गई। पहला मेरा मन पढ़ाई में नही लगता था, लेकिन अब पढ़ने में मेरी रुचि बढ़ गई है। मैं भी पढ़-लिखकर अच्छे पद पर नौकरी करना चाहती हूं। मैडम प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करवा रही है।
आशीष ने कहा कि जब से मैडम के घर रहने आया हूं, मुझे लगा कि दूसरे के घर में रह रहा हूं। हमारा अलग कमरा है। जिस तरह से उनके बच्चे रहते हैं, वैसे ही हमें भी रखा जाता है। मैं बारहवीं कक्षा में हूं। मैडम को हमसे बहुत उम्मीदें हैं। उनकी उम्मीद पर खरा उतरना है। उनका सपना है, कि हम उच्च पद नौकरी करें।