नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। ऑर्डनेंस फैक्ट्री जबलपुर (पूर्व नाम जीआइएफ) को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र एक अग्रणी निर्माणी में गिना जाता है। निर्माणी इस समय 250 किग्रा क्षमता के बम की बॉडी बनाने के कार्य में जुटी हुई है। इस सत्र में उसे 1100 बम की बॉडी बनाने का लक्ष्य हासिल हुआ है और मार्च तक यह उत्पादन लक्ष्य पूरा करना है। भारतीय वायुसेना के लिए उपयोगी इन बमों में बारूद आर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया भरेगा।
नए डिजाइन वाले बमों से वायु क्षेत्र में सेना की ताकत और बढ़ जाएगी। इस बम से दुश्मन के सैन्य वाहन, खड़े एयरक्राफ्ट और मध्यम आकार के बंकर आदि को नष्ट करने में मदद मिलेगी। 250 किलो बम के बाद जोर 500 किलो के बम को तैयार करने पर है। फिलहाल निर्माणी 250 किग्रा क्षमता के बमों की बॉडी को आकार देने में जुटी हुई है। माना जा रहा है कि रक्षा उत्पादन में तेजी से कार्य के कारण लक्ष्य मार्च 31 तक पूरा होने में सफलता मिलेगी।
महत्वपूर्ण है कि समय पर कार्य पूरा करने पर निर्माणी को अगले साल बढ़कर उत्पादन करने का लक्ष्य प्राप्त हो सकेगा। 250 किग्रा क्षमता के पहले ट्रायल बम बनाए गए। जिसमें सफल रहने के बाद इनका उत्पादन आरंभ हुआ। ट्रायल बम के रूप में 5 एयर बम की बॉडी तैयार कर इसमें बारूद भरने के बाद प्रारंभिक परीक्षण एलपीआर में हुआ। परीक्षण सफल होने के बाद इसका नियमित उत्पादन शुरू हुआ।
अब निर्माणी का फोकस इसके 500 किलो में तैयार करने पर है। इससे पहले ओएफजे 120 किग्रा क्षमता और थाउंजेड पाउंडर पर भी कार्य तेजी से कर चुकी है। 500 किग्रा बम की बॉडी एक महत्वपूर्ण उत्पादन भी होगा। थाउजेंड पाउंडर बम को देश का सबसे बड़ा बम माना जाता है। इस बम के खोल बनाने का काम पहली बार देश की किसी छोटी निर्माणी को सौंपा गया था। 2023 में निर्माणी ने इस बम की बाड़ी को आकार दिया था।
ओएफजे अभी 100 से 120 किलो एरियल बम का खोल (बॉडी) तैयार करती रही है। इसके अलावा यहां एमुनेशन बॉक्स, हैंड ग्रेनेड और सुरंगरोधी बम भी बनाए जाते हैं। सूत्रों की मानें, तो आगे इस पर ओर कार्य होगा। ताकि रक्षा जरूरतों के हिसाब से समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
इसे भी पढ़ें... MP Top News: पिता ने की बेटी की हत्या, नायब तहसीलदार की पत्नी से लूट, शहडोल में रेल ट्राली से टकराई ट्रेन