
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बन रही अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई का मसौदा तैयार हो गया है। नगर निगम और जिला पंचायत की सीमा में आने वाली अवैध कॉलोनियों में अब न रजिस्ट्री होगी न नामांतरण बल्कि अवैध कॉलोनी बनाने वालों पर सीधे एफआईआर होगी। कलेक्टर ने इसके निर्देश जारी कर दिए हैं। इस आदेश में तहसीलदार, आरआइ, पटवारी और पंजीयक को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियों पर नजर रखना होगा। वहीं निगमायुक्त, जिला पंचायत सीईओ, जनपद पंचायत के अधिकारी, ग्राम सहायक अवैध कॉलोनियों के निर्माण कार्य पर रोक लगाएंगे। अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ एफआईआर का प्रतिवेदन राजस्व विभाग व नगर निगम द्वारा पुलिस को भेजा जाएगा।
अवैध कॉलोनियां के नामांतरण पर पहले ही रोक लग चुकी है। अब खाली भूखंडों की बिक्री रोकने जिला पंजीयक को भी निर्देशित कर दिया है। इन कॉलोनियों का खसरा नंबर और अन्य जानकारी राजस्व विभाग, पंजीयन कार्यालय से साझा करेगा, ताकि पंजीयन के दौरान इनकी वैध और अवैध कॉलोनियों की पहचान की जा सके। इधर राजस्व अमला अब नगर निगम की कालोनी सेल, जिला पंचायत के सीएमओ, सीईओ के साथ मिलकर अवैध कॉलोनियों पर नजर रखेंगे । नियम का उल्लंघन करने पर कॉलोनाइजर के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की तय धाराओं में एफआईआर दर्ज कराएंगे। इसके साथ एमपी राजस्व संहिता 1959 एवं संशोधित अधिनियम 2018 की धारा 109, 110 कार्रवाई करेंगे।
अधारताल तहसील में महाराजपुर के खसरा नंबर 153 में गोविंद पुरम कॉलोनियों में बिना टीएनसीपी और रेरा के कॉलोनी बना दी है। यहां पर करीब आठ से दस मकान बन चुके हैं। यहां पहुंचने पर कर्मचारी ने बताया कि फिलहाल यहां के प्लांट का नामांतरण नहीं हो रहा है, लेकिन हमने कॉलोनी की जमीन डायवर्सन कराई है। इधर दूसरी महाराजपुर बायपास में खसरा नंबर 165-5-1-2 में बनाई गई कॉलोनी मां रेवा में भी बिना टीएनसीपी, रेरा के निर्माण कर दिया है। यहां के लगभग सभी प्लाट बिक गए हैं और इन पर मकान बनाने का काम चल रहा है। -
वैध और अवैध कॉलोनी को लेकर नियम स्पष्ट हैं। अवैध कॉलोनियों में मुख्य तौर पर उन कॉलोनियों को रखा गया है, जिनकी टीएनसीपी, रेरा की स्वीकृति नहीं है, लेकिन कॉलोनी का निर्माण कर दिया गया। इसके अलावा जमीन का डायवर्सन किए बिना, निगम और प्रशासन की कॉलोनी सेल से एनओसी लिए बिना और विकास शुल्क जमा किए बिना ही कॉलोनियों को निर्माण अवैध कालोनी में आता है।
इस पर कार्रवाई का अधिकार नगर निगम और प्रशासन, दोनों को है। निगम, मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 339 ग, मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 292 ग और जिला प्रशासन मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 61 घ, 3 के अंतर्गत अवैध कॉलोनियों का निर्माण करना अपराध माना गया है। कॉलोनाइजर के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराएंगे।
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फ्यूचर नगर रहवासी विनोद ठाकुर ने कहा कि भाईया हमें तो मकान बेचकर बिल्डर चला गया, अब वो नहीं आता। यहां घरों से निकलने वाले पानी की निकासी नहीं है। खेतों में ही पानी बहता है। सड़क भी नहीं है।
मां रेवा कालोनी निवासी वीरेंद्र पटेल ने कहा कि हमने और हमारे बास, दोनों ने कालोनी में प्लाट लिया है। टीएनसीपी और रेरा नहीं हैं, लेकिन सड़क, नाली बनी है। प्रकाश व्यवस्था भी ठीक है। बाकी तो व्यवस्थाएं नगर निगम देता ही है।