By Jitendra Richhariya
Edited By: Jitendra Richhariya
Publish Date: Sat, 25 Mar 2023 09:00:40 PM (IST)
Updated Date: Sat, 25 Mar 2023 09:00:40 PM (IST)
जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। जबलपुर के पनागर में सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए बागेश्वर धाम सरकार पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि मेरी छोटी सी बुद्धि से यदि कोई पूछे कि भगवान क्या है, तो मैं यही कहूंगा कि भागवत ही ठाकुर जी हैं। भागवत ही भगवान हैं। उन्होंने कथा बताते हुए कहा कि भगवान ने स्वयं कहा है कि मैं अपना तेज इस सद्ग्रंथ में छोड़ के जा रहा हूं। भागवत ही भगवान का गीत है। इसमें गोपी गीत, बेणु गीत, उद्धव गीता, युगल गीत, भ्रमर गीत का जिक्र है। भागवत साधारण नहीं है। इसमें ज्ञान-कर्म, साधना-सिद्धि, वैराग्य, मर्यादा, निर्गुण-सगुण, वैराग्य-सत्य है।
बताया भागवत शब्द का अर्थः
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री महाराज ने भागवत शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि भागवत में चार अक्षर है। भ, ग, व और त। यहां भ का अर्थ है भक्ति। ग का अर्थ ज्ञान, व का वैराग्य और त का त्याग। उन्होंने भक्ति-ज्ञान, वैराग्य और त्याग का गहन अर्थ बताते हुए कहा कि चारों शब्द के जो अर्थ उजागर हैं, वास्तव में उनका अर्थ उतना बस नहीं है। चारों का अर्थ बड़ा गहरा है।
शक्ति के बिना कुछ नहींः
महाराजश्री ने कहा कि शक्ति इहलोक-परलोक का केंद्र है। इसीलिए भागवत के पहले श्रीमत शब्द आता है। यहां श्री का अर्थ शक्ति और मत का अर्थ ईश्वरीय मति है। जब तक हमारी मति गोविंद के मद से रसस्रात नहीं हो जाती तब तक ये न समझना कि बुद्धि चित्त-चेतना में भक्ति आ गई है। उन्होंने कहा कि भागवत का पहला श्लोक सच्चिदानंद रूपाय विश्युत्पत्यादि हेतवे ही परम तत्व का विस्तार और सार है।
मौसम वाले भक्त मत बनो:
महाराजश्री ने कहा कि माला लेने से कोई भक्त नहीं हो जाता। आप कभी मौसम वाले भक्त न बनें। उन्होंने कहा कि नौ दिन उपवास कर दसवें दिन उपद्रव मचाने भगवान नहीं होते। शंकर जी ने पूरी दुनिया बनाई, हम सावन में शंकर जी बना के भक्त नहीं कहला सकते।
तब समझना हो गई मोहब्बत:
महाराजश्री ने कहा कि जब भगवत नाम संकीर्तन से आंखे गीली हो जाएं, जिव्या पर गोविंद का नाम नाचने लग जाए, रोम रोम प्रभु प्यार में आनंदित हो उठे, तब समझना कि मुझे मोहब्बत हो गई है। उन्होंने कहा कि हरि का भजन करो हरि है हमारा, हरि के भजन बिना नहीं है हमारा।
हम कट्टर नहीं राम के प्यारे हैं:
महाराजश्री ने कहा कि हमें लोग कट्टर कहते हैं। पर हम कट्टर नहीं हम तो राम के प्यारे हैं। उन्होंने कहा कि जिसके मस्तक में तिलक होता है, जो भगवा पहनता है वो हमें राम की याद दिलाता है, वो हमें प्यारा लगता है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र भी कहते हैं कि जो राम से दूर करे, उसिस त्याग कर दो। जाके प्रिय न राम बैदेही तजो कोट बैरी सम यद्वपि परम सनेही। राम से दूर करने वाला कितना भी प्यारा क्यों न हो, उसका त्याग करने में ही भलाई है।
प्रारंभ में पोथी पूजन:
कथा के प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से विधायक सुशील तिवारी, माया तिवारी ने व्यास पीठ और पोथी पूजन किया। सांसद राकेश सिंह ने इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित होकर व्यास पीठ की आरती की।