नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। मरीजों की सुरक्षा को लेकर एक और बड़ी लापरवाही नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सामने आई है। अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में भर्ती तीन मरीजों को चूहों ने बुरी तरह से काट लिया। यह घटना तब हुई जब पिछले एक महीने से विभाग में चूहों के आतंक की लगातार शिकायतें मिल रही थीं, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। यह घटना इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो मासूमों की मौत के बाद जारी की गई चेतावनियों को नजरअंदाज करने का सीधा परिणाम है।
मिली जानकारी के मुताबिक, सिहोरा निवासी 25 वर्षीय रजनी बेन, श्रीधाम गोटेगांव के 50 वर्षीय सरोज मेहरा और उनके बेटे जगदीश मेहरा इस लापरवाही के शिकार बने। मरीजों के स्वजनों ने बताया कि विभाग में चूहों का इतना आतंक है कि वे रात के समय मरीजों को काट रहे हैं। जगदीश मेहरा ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया, "मैंने अपनी मां सरोज मेहरा को सोमवार को इलाज के लिए भर्ती कराया था। दो दिन बाद ही चूहों ने उनकी एड़ी काट ली। अगले दिन, चूहों ने मेरे पैरों को भी नहीं छोड़ा और एड़ी पर हमला कर दिया।
रजनी यादव के परिजनों ने बताया कि चूहों ने उनके दोनों पैरों की एड़ियों को कुतर दिया है। तीनों मरीजों को मेडिकल कॉलेज में ही प्राथमिक उपचार दिया गया है, लेकिन इस घटना ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह घटना केवल एक आकस्मिक दुर्घटना नहीं, बल्कि अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है। मरीजों के स्वजनों का कहना है कि उन्होंने कई बार विभाग प्रमुख और अन्य अधिकारियों को चूहों की समस्या से अवगत कराया था, लेकिन उनकी शिकायतों को लगातार अनदेखा किया गया। जगदीश मेहरा ने रोष व्यक्त करते हुए कहा, "हम इलाज के लिए अस्पताल आए थे, लेकिन यहां हमारी जान खतरे में पड़ गई है। जब हमने अधिकारियों से शिकायत की तो वे सिर्फ आश्वासन देते रहे। क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?"
यह घटना इसलिए भी अधिक गंभीर है क्योंकि यह इंदौर के एमवाय अस्पताल में हुई दुखद घटना की याद दिलाती है, जहां चूहों के काटने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। उस घटना के बाद चिकित्सा विभाग ने सभी अस्पतालों को चूहों और अन्य कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद, जबलपुर के इस प्रतिष्ठित अस्पताल में इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया। यह दर्शाता है कि सरकारी अस्पतालों में मरीज की सुरक्षा को लेकर अभी भी गंभीरता की कमी है।
इस घटना के बाद मरीजों के स्वजनों और स्थानीय लोगों में गहरा रोष है। वे दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। इस मामले की तत्काल जांच होनी चाहिए कि आखिर किन कारणों से अस्पताल में चूहों को नियंत्रित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। यह घटना स्वास्थ्य सेवा में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनदेखी की एक और मिसाल है, जिसकी जांच होना बेहद आवश्यक है।
इसे भी पढ़ें... भारत-पाकिस्तान मैच के विरोध में किसान कांग्रेस नेता ने फोड़ डाली टीवी