नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। जिला अस्पताल विक्टोरिया में मौसमी बीमारियों से पीड़ित अधिक पहुंच रहे हैं। ओपीडी में भी सामान्य दिनों की तुलना में मरीजों की कतार लंबी है। मौसम में लगातार हो रहे बदलाव ने लोगों की सेहत पर बुरा असर डाला है। कभी बारिश, कभी धूप और फिर अचानक से ठंडी हवाओं के कारण वायरल संक्रमण और मौसमी बीमारियों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। है। इसका सीधा असर शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल विक्टोरिया अस्पताल पर देखने को मिल रहा है। हालांकि राहत की बात है कि शहर सहित जिले में एच3एन2 इंफ्लूएंजा वायरस ने अभी दस्तक नहीं दी है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की ओपीडी में सामान्य वायरल से पीड़ित मरीज ही पहुंच रहे हैं। इस बीच दोनों ही सरकारी अस्पतालों में नए वायरस को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। जिला अस्पताल के एमडी मेडिसिन डॉ. अंकित अनूप मरावी ने बताया कि मौसम में हो रहे बदलाव के कारण लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो रही है, जिससे वे आसानी से वायरल इन्फेक्शन और मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं।
बारिश थमने के बाद तेज धूप भी बीमारी का कारण हो सकता है। जरूरत इससे बचने की और सेहत को लेकर सावधानी की है। 280 बिस्तर क्षमता वाले जिला अस्पताल के बेड फुल है और कई मरीजों जो विभिन्न वार्डों में सात दिन से अधिक समय से भर्ती और गंभीर रूप से बीमार हैं उन्हें मेडिकल रेफर भी किया जा रहा है। ताकि उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिले और दूसरे मरीजों को बेड उपलब्ध हो सके। सबसे ज्यादा मरीज खांसी, बुखार और बदन दर्द जैसी मौसमी बीमारियों के आ रहे हैं।
मेडिकल कालेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा ने इस संबंध में नईदुनिया को बताया कि दिल्ली में सक्रिय एच3एन2 इंफ्लूएंजा वायरस नया वेरियंट है और समय-समय पर ये वायरस बदलते रहते हैं, नए वेरियंट में तेज बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, बदन दर्द और कमजोरी के लक्षण मरीजों में देखा जा रहा है। हालांकि मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में ऐसे केस जांच में सामने नहीं आए हैं। उनके अनुसार डॉक्टरों की हमारी टीम सामान्य वायरल संक्रमण से पीड़ित प्रत्येक मरीज की जांच व उन्हें दवा उपलब्ध करा रही है।
इंफ्लूएंजा वायरस की पहचान यदि किसी मरीज में हुई तो उसके लिए दवा के साथ पृथक वार्ड भी होगा। जिला अस्पताल की ओपीडी में भी नियमित रूप से करीब 600 से 700 मरीज आते हैं। लेकिन इस नए वेरियंट की पहचान नहीं हुई है। जिले के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रदीप पटेल के अनुसार सामान्य बुखार, सर्दी-जुकाम के मरीज इन दिनों अधिक जिला अस्पताल सहित नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में आ रहे हैं। ये सभी मौसमी बदलाव के कारण स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित अधिक हैं।
एच3एन2 इंफ्लूएंजा वायरस फ्लू का एक प्रकार है जो इंसानों में तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द और कमजोरी जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकता है। यह मुख्य रूप से श्वसन संक्रमण का कारण बनता है और समय पर इलाज न मिलने पर जटिलताएं पैदा कर सकता है। लक्षण आमतौर पर लगभग 5 से 7 दिनों तक रहते हैं।
इस फ्लू के बढ़ते मामलों के बावजूद ज़्यादातर लोग अपने डाक्टर से इलाज करवाकर घर पर ही ठीक हो सकते हैं। गंभीर मामलों में अस्पताल में आइसोलेट किया जाता है। फ्लू के लक्षण लगभग एक या दो हफ़्ते तक रहते हैं, लेकिन खांसी और कमज़ोरी कुछ हफ़्ते तक और रह सकती है। इसमें सबसे जरूरी है पर्याप्त आराम।
सामान्य निदान विधियों में शामिल हैं आरटी-पीसीआर परीक्षण, श्वसन नमूनों में एच3एन2 वायरस की उपस्थिति की पहचान करता है। वायरल कल्चर में प्रयोगशाला में वायरस को विकसित करके उसका पता लगाता है। एंटीबॉडी परीक्षण में वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मापता है। मेडिकल कालेज ऐसे किसी संदिग्ध मरीजों की नमूने अपनी लैब के साथ आईसीएमआर को जांच के लिए भेजता है।
इसमें बुखार, गले में खराश, सिरदर्द, शरीर में दर्द, थकान, नाक बहना या बंद होना और खांसी शामिल हैं। कुछ लोगों को दस्त, मतली या त्वचा पर चकत्ते भी हो सकते हैं। वायरल संक्रमण के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं, समय पर रोग की पहचान व उपचार से मरीज को जल्दी आराम मिल जाता है।
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बार-बार नाक, कान और आंखों को छूने से बचें। बाहर से आने के बाद साबुन से हाथ धोएं। पब्लिक प्लेस और भीड़ भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहन कर जाएं। दूसरे व्यक्ति की निजी चीजों के इस्तेमाल से बचें और बेड रेस्ट और चिकित्सकीय परामर्श का पालन ही बेहतर है।