नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर: जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण करवाना कानूनन अपराध है। इसके खिलाफ प्रदेश में मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम भी बनाया गया है। लेकिन फिर भी कुछ लोगअलग-अलग तरीके निकाल कर यह करते ही रहते हैं। ऐसा ही एक मामला जबलपुर के रांझी थाना क्षेत्र से सामने आया है। जहां क्षेत्र की निवासी एक बीमार महिला को कुछ लोगों ने ईसाई धर्म अपनाने पर ठीक होने का झांसा दिया। ईसाई समुदाय की प्रार्थना पद्धति अपनाने पर उसके शीघ्र स्वस्थ होने और अन्य प्रलोभन देते हुए उस पर जबरन मतांतरण का दबाव बनाया। बाद में ईसाई धर्म नहीं अपनाने पर धमकियां भी दी।
दरअसल पीड़िता रांझी के परशुराम बस्ती निवासी नीतू रैकवार पिछले कुछ समय से बिमार चल रही है। ऐसे में ईसाई धर्म के कुछ लोगों ने उसे प्रलोभन दिया कि यदि वह अपना धर्म परिवर्तित कर ईसाई धर्म अपना ले तो उसकी बीमारी ठीक हो जाएगी। महिला उनके झांसे में आने भी लगी लेकिन उसके पति ने अपना धर्म बदलने से मना कर दिया। इस बीच ईसाई समुदाय के कुछ लोग उसके घर आए। हिंदू देवी-देवता के चित्र मिलने पर चर्च बुलाया। जहां ईसाई धर्म की परंपरा का पालन कराने के लिए दबाव बनाते हुए धमकाया गया।
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बार-बार धमकियां मिलने से परेशान महिला बुधवार की रात को रांझी थाने पहुंची। पीड़िता की शिकायत पर एफआईआर पंजीबद्ध की गई है। आरोपित मनोज पिल्ले, विनोद, राजीव और एक अन्य के खिलाफ मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के अंतर्गत मामला पंजीबद्ध किया गया है। सभी आरोपी रांझी के निवासी हैं। शिकायतकर्ता नीतू रैकवार की मनोज पिल्ले से पहचान थी।
दर्ज शिकायत में महिला ने बताया कि 2 फरवरी को मनोज पिल्ले अपने साथ विनोद, राजीव व एक अन्य को साथ लेकर उसके घर पहुंचा। तब नीतू का स्वास्थ्य खराब चल रहा था। उससे मिलने के लिए आए चारों लोगों ने कहा कि अपना हिंदू धर्म छोड़ कर ईसाई धर्म अपनाकर यदि प्रार्थना-पूजन करेंगी तो वह जल्दी ठीक हो जाएंगी। उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाएगी। उन्होंने महिला को दो हजार रुपये दिए और उससे ईसाई धर्म के अनुसार पूजन सामग्री एकत्रित करने के लिए कहा।
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20 दिन बाद आने का कहकर चले गए। चारों आरोपित 16 फरवरी को भोजन बनाने का सामान लेकर फिर महिला के घर पहुंचे और भोजन करने नजदीकी लोगों को बुलाने कहा। इस पर महिला ने सियाई बाई कोल, मंजू कोल और कुछ अन्य महिलाओं को बुलाया। उसके बाद आरोपितों ने महिला के घर से देवी-देवताओं का छायाचित्र हटवा दिया। ईसाई धर्म का प्रतीक क्रास चिन्ह वाला ईसा मसीह का छायाचित्र पूजा की जगह पर रखवाया। सभी को साथ बैठाकर प्रार्थना की। फिर उनसे कहा कि वे अब ईसाई बन चुके हैं।