MP में बहन ने दिया अनोखा उपहार, गंभीर बीमारी से ग्रस्त भाई के लिए किया ये कारनामा
Raksha Bandhan के शुभ अवसर पर 14 वर्षीय बहन ने अपने पांच वर्षीय भाई को जीवनरक्षक स्टेमसेल का उपहार दिया है। दो साल की उम्र में उसका भाई सिकल सेल (अनुवांशिक रक्त विकार) जैसी घातक बीमारी की चपेट में आ गया था।
Publish Date: Sun, 10 Aug 2025 03:47:34 PM (IST)
Updated Date: Sun, 10 Aug 2025 03:47:34 PM (IST)
MP में बहन ने दिया अनोखा उपहार नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर 14 वर्षीय बहन ने अपने पांच वर्षीय भाई को जीवनरक्षक स्टेमसेल का उपहार दिया है। दो साल की उम्र में उसका भाई सिकल सेल (अनुवांशिक रक्त विकार) जैसी घातक बीमारी की चपेट में आ गया था। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों ने नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा निवासी किशोरी का स्टेम सेल लेकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट के माध्यम से मासूम को नई जिंदगी दी है। पूरा इलाज आयुष्मान योजना से निश्शुल्क किया गया।
एफेरेसिस तकनीक के माध्यम से स्टेम सेल प्राप्त कर ट्रांसप्लांट
बीएमटी यूनिट की प्रभारी डॉ. श्वेता पाठक ने बताया कि रोहन (परिवर्तित नाम) को दो वर्ष की उम्र में सिकल सेल की बीमारी की पुष्टि हुई थी और वह नियमित रूप से खून चढ़वाने के लिए अस्पताल में उपचाररत था। संस्थान में सुविधा प्रारंभ होते ही उसके बोन मैरो ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया शुरू की गई। रोहन के बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए उसकी बहन से स्टेम सेल मैचिंग की गई और एफेरेसिस तकनीक के माध्यम से स्टेम सेल प्राप्त कर ट्रांसप्लांट किया गया।
चिकित्सकों ने टीमवर्क से किया कार्य
ट्रांसप्लांट में कालेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना के नेतृत्व में चिकित्सकों ने टीम वर्क से कार्य किया। इसमें अधीक्षक डॉ. अरविंद शर्मा, उप अधीक्षक डॉ. ऋचा शर्मा, डॉ. लक्ष्मी सिंगौतिया सुपरिटेंडेंट, कैंसर अस्पताल, डॉ. मोनिका लाजरस (एचओडी पीडियाट्रिक्स) सहित नर्सिंग स्टाफ से पूनम, एलिजाबेथ, रिंकी का विशेष सहयोग रहा।
बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की ऐसी पड़ी नींव
महत्वपूर्ण है कि इसी साल फरवरी में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट (एससीआइ) के दूसरे फ्लोर पर करीब चार हजार वर्गफीट क्षेत्र में अत्याधुनिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की शुरुआत हुई थी। इसमें 10 निजी वार्ड बनाए गए हैं जो कि पूरी तरह वातानुकूलित हैं और इस रोग से पीड़ित बच्चों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने की दिशा में एक सफल प्रयास की शुरुआत माना जाता है। यूनिट की प्रभारी डॉ. श्वेता पाठक ने इसको आकार-प्रकार देने में विशेष भूमिका का निर्वाह किया है।