Success Story: मध्य प्रदेश में किसानों की सूझबूझ… मालामाल कर रहे सब्जी, तरबूज और खरबूज
Success Story: खबर मध्य प्रदेश के जबलपुर से है। किसानों की इस सफलता में कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग की भी अहम भूमिका है। विभाग किसानों को आधुनिक खेती की तकनीकों और फसल विविधीकरण के बारे में लगातार मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है।
Publish Date: Tue, 20 May 2025 10:52:22 AM (IST)
Updated Date: Tue, 20 May 2025 10:52:22 AM (IST)
पाटन में किसान के खेत पर कृषि विभाग अधिकारी व अन्य। (सौ. संगठन)HighLights
- पारंपरिक तरीकों से हटकर आधुनिक तकनीकों से खेती
- मिश्रित खेती की तकनीक से साल भर हो रही इनकम
- कृषि वैज्ञानिक और विभाग भी कर रहे किसानों की तारीख
नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर (Success Story): मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के किसान अब खेती के पारंपरिक तरीकों से हटकर आधुनिक तकनीकों को अपना रहे हैं, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। अनाज और दलहन की पारंपरिक खेती की जगह अब यहां के किसान सब्जियां उगाकर अपनी किस्मत बदल रहे हैं।
यह बदलाव न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधार रहा है, बल्कि कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा भी दिखा रहा है। जिले के किसान अब धान, अरहर, गेहूं और चना जैसी पारंपरिक फसलों की बजाय औषधीय और उच्च मूल्य वाली फसलों, खासकर सब्जियों और फलों की खेती में अधिक रुचि दिखा रहे हैं।
पढ़िए किसानों की सफलता की कहानी…कृषि विभाग ने भी की सराहना
- पाटन के शहपुरा विकासखंड के नटवारा गांव के किसान शेख रुस्तम ने अपने खेत में स्वीट कॉर्न, मूंग और उड़द जैसी फसलों के साथ-साथ अंतरवर्तीय खेती के तहत लौकी और धनिया की भी बुवाई की है।
- उनकी यह मिश्रित खेती की तकनीक उन्हें साल भर आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान कर रही है। सुनाचर गांव के यशपाल लोधी का प्रयास भी सराहनीय है। उन्होंने लगभग नौ एकड़ के विशाल क्षेत्र में बैंगन की ग्राफ्टेड किस्म लगाई।
- जून 2024 में पौधे रोपित करने के बाद प्रति पौधा औसतन 20 किलो बैंगन का उत्पादन प्राप्त किया। वर्तमान में, लोधी ने अपने बैंगन के पौधों की दोबारा छंटाई की है, और उनमें फिर से फूल आने लगे हैं, जिससे आगे भी अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
कृषि विज्ञानी डा. शेखर सिंह इस बदलाव को सकारात्मक बताते हुए कहते हैं कि फसलों की विविधता मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह मिट्टी में पोषक तत्वों को बढ़ाती है, जिसका सीधा प्रभाव फसल उत्पादन पर पड़ता है।
उनका मानना है कि किसानों का यह रुझान फसल विविधीकरण और उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर बढ़ना कृषि क्षेत्र के लिए एक अच्छा संकेत है। कृषि विभाग के उपसंचालक डॉ. एसके निगम ने भी किसानों द्वारा नई तकनीकों को अपनाने की सराहना की है। ![naidunia_image]()
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अच्छी आय देने वाली सब्जी भी लगाई
बेलखेड़ा गांव के किसान विनय बादल भी इस बदलते परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्होंने इस वर्ष अनाज और दलहन की पारंपरिक खेती को छोड़कर सब्जी और फल की खेती को अपनाया है।
बादल ने लगभग ढाई एकड़ में शिमला मिर्च, पांच एकड़ में टमाटर, पांच एकड़ में हरी मिर्च, तीन एकड़ में तरबूज और तीन एकड़ में खरबूज की फसल लगाई है। हालांकि, सब्जियों की खेती में प्रारंभिक लागत, जैसे कि ड्रिप सिंचाई प्रणाली और पौधों को सहारा देने के लिए तार व बांस का उपयोग करने से थोड़ी अधिक आई, लेकिन मिर्च और खरबूजे ने उन्हें मुनाफा दिलाया।
टमाटर और तरबूज के अपेक्षित दाम न मिलने के कारण इन फसलों से उन्हें उतना लाभ नहीं हुआ, और वे अगले वर्ष शिमला मिर्च और हरी मिर्च की खेती पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहे हैं।
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