नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। त्रिमूर्ति नगर में 33 वर्ष से जिस घर में एक व्यक्ति रह रहा था, उसे भूखंड बताकर शातिर जालसाजों ने बैंक में बंधक रख दिया। जालसाजी करते हुए बैंक से 52 लाख रुपये ऋण ले लिया। वास्तविक भू-स्वामी अब संपत्ति को आधार नंबर से लिंक कराने पहुंचा तब फर्जीवाड़े सामने आया। शिकायत पर सात आरोपितों के विरुद्ध षड्यंत्र, कूटररचित अभिलेख तैयार करने और धोखाधड़ी का मामला पंजीबद्ध किया गया है। आरोपितों में अधारताल के संजय नगर निवासी संदीप श्रीवास्तव, कटंगी के ग्राम पटना निवासी सत्येंद्र उपाध्याय, गढ़ा रानी दुर्गावती रोड निवासी शांति बाई कोष्टा, शशांक गौतम, मोहित तिवारी, अंचल दुबे, असलम खान एवं भानू प्रकाश है। सभी आरोपी फरार है।
दमोह नाका त्रिमूर्ति नगर निवासी अमर सिंह ठाकुर ने राष्ट्रीय गृह निर्माण सहकारी समिति मर्यादित के तत्कालीन अध्यक्ष सुशील कुमार तिवारी से वर्ष 1991 में 2400 वर्गफीट भूखंड क्रय किया था। निर्धारित मूल्य चुकाकर समिति से भूखंड पंजीयन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किया। उसके बाद रजिस्ट्री कराते हुए खसरे में अपना दर्ज कराया। खसरात पी-वन एवं पी-टू बनवाने के बाद उसमें मकान बनवाया और वहीं पर परिवार के साथ रहने लगा। प्रशासन ने हाल में संपत्तियों को उसके स्वामी के आधारकार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की, जिसके लिए वह आधार नंबर लिंक कराने एक ऑनलाइन सेंटर पहुंचा।
जहां, उसे बताया गया कि जिस संपत्ति को वह अपनी बता रहे है, वह तो भूखंड के रूप में संदीप श्रीवास्तव के नाम पर दर्ज है। अमर सिंह को पता चला कि उसके आधार कार्ड का दुरुपयोग करते हुए संदीप और सत्येंद्र उपाध्याय ने मिलकर धोखाधड़ी की है। उसके घर को भूखंड के रूप में अपने और शांति बाई कोष्टा के नाम पर रजिस्ट्री करा लिया है।
इसके लिए सत्येंद्र ने अमर सिंह ठाकुर बनकर जाली विक्रय अनुबंध पत्र तैयार कराया और फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। उसके बाद जाली अभिलेखों से आरोपितों ने पंजाब नेशनल बैंक में उसके भूखंड को बंधक रखकर 52 लाख 60 हजार रुपये ऋण ले लिया है। तब उसने मामले की पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने आरंभिक छानबीन के बाद मामले में संजय श्रीवास्तव, सत्येंद्र उपाध्याय सहित सात आरोपितों को फर्जीवाड़े में लिप्त पाया है।
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