-थांदला के ग्राम सजेली में सागवान पेड़ों और हरियाली से आच्छादित है यह क्षेत्र
थांदला (नईदुनिया न्यूज)। नगर से सात किमी दूर ग्राम सजेली में तालाब के पास घने जंगल के बीच वीरान क्षेत्र में विराजित वन माता का यह क्षेत्र अति प्राचीन है। यहां आदिवासी व नायक समाज इस क्षेत्र को कुलदेवी के रूप में पूजता है। मान्यता है कि जंगल में सागवान वृक्षों के बीच विराजित माता का यह क्षेत्र दर्शनीय व पूजनीय है। ग्रामीणों का कहना है कि किसी समय यहां तेंदुआ और सिंह भी दिखाई देते थे। घटते वन व बढ़ती आबादी के कारण जंगली जानवर विलुप्त हो गए। इस क्षेत्र की धार्मिक मान्यता है कि यहां स्थित सागवान की लकड़ी कोई काट नहीं सकता। यदि अनजान व अज्ञानतावश वन माता के जंगल की लकड़ी कोई काटकर ले जाता है तो वर्षभर में कभी भी अनिष्ट होने की आशंका रहती है।
गांव के बुजुर्ग भौवनसिंह खतेड़िया और मंजी डामर ने इस क्षेत्र की महत्ता बताते हुए कहा कि तेज हवा में गिरे वृक्षों को ग्रामीण आसपास के मंदिर निर्माण स्थल पर निशुल्क दे देते हैं तथा धार्मिक व सामाजिक आयोजन सफल हो, इसके लिए मन्नात भी रखते हैं। वहीं केतनसिंह नायक, दीपसिंह भरपोड़ा, तड़वी कालिया डामोर ने वन माता स्थल पर जनसहयोग से चबूतरा बनवाने की बात कही। बुजुर्ग मंजी डामर वन माता के जंगल के पास खेत में घर बनाकर रह रहे हैं। वन माता क्षेत्र से सागवान के छोटे पौधे लाकर मंजी ने उन्हें वृक्ष का रूप दिया है। वह अपने पुत्रों से उनके जिंदा रहने तक उन्हें न काटने की अपील के साथ आज भी उन वृक्षों की बच्चों जैसी परवरिश कर सागवान के जंगल बचाकर वृक्ष मित्र बन गए हैं। स्थानीय वन क्षेत्र अधिकारी रोहित चतुर्वेदी ने भी वन माता के जंगल का निरीक्षण कर ग्रामीणों के प्रयासों को सराहा है। इस संदर्भ में भाजपा नेता व पूर्व विधायक कलसिंह भाबर का कहना है कि प्रथम विधायक कार्यकाल में 2005 में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने वन क्षेत्र के पास एक करोड़ से अधिक लागत से निर्मित क दवाल तालाब का भूमिपूजन किया था। इस तालाब के बन जाने से किसानों की तकदीर व तस्वीर बदल रही है। कलसिंह ने बताया कि वे शीघ्र वन माता जंगल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में सार्थक प्रयास करेंगे।
02 जेएचए 11 -थांदला के समी सागवान के घने जंगलों में विराजित वन माता।