
कटनी। नईदुनिया प्रतिनिधि
निविदा प्रक्रिया की नियमों की अनदेखी करने पर आरईएस (ग्रामीण यांत्रकी सेवा) विभाग के 41 निविदा के माध्यम से जारी किए गए 60 विकास कार्यों के ठेके ठेकेदारों को मिलने से पहले ही निरस्त कर दिए गए। ठेका निरस्त करने के बाद ठेकेदार ने आरईएस जबलपुर के अधीक्षण यंत्री पर मनमानी का आरोप लगाया है, जबकि आईएस जबलपुर के अधीक्षण यंत्री का कहना है कि निविदा प्रक्रिया की नियमों की अनदेखी करने पर निविदा को निरस्त किया गया है। निविदा प्रक्रिया के लिए अपनाई गई नियम विरुद्घ पद्घति को लेकर आरईएस के कटनी के कार्यपालन यंत्री की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। इसे लेकर कार्रवाई का प्रस्ताव भी शासन को भेजा जा रहा है। वहीं निविदा निरस्त करने की कार्रवाई के संबंध में आरईएस विभाग जबलपुर के अधीक्षण यंत्री हरिसिंह झड़िया ने बताया कि निविदा को संभाग स्तर निविदा कमेटी द्वारा निरस्त किया गया है। यह कार्रवाई इसलिए की गई है क्योंकि निविदा प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई थी। मनमानी संबंधी आरोप निराधार हैं।
एक ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का आरोप
पत्रकारवार्ता में ठेकेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज कुमार राय ने बताया कि आरईएस विभाग द्वारा एनआईटी के माध्यम से 41 निविदा के 60 निर्माण कार्यों की निविदाएं बुलाई गई थीं। निविदा आमंत्रण से लेकर वित्तीय आफर खोले जाने और जिला स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदन तक की कार्रवाई पूरी कर ली गई थी। इसके बाद वरिष्ठ कार्यालय द्वारा पूरी निविदा को निरस्त कर दिया गया। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन वित्तीय ऑफर करने की अंतिम तिथि 28 दिसंबर 2017 व मैन्यूअल लिफाफा ए और बी जिसमें एफडीआर, पेन नंबर, रजिट्रेशन की छायाप्रति रखी होती है उसे जमा करने की अंतिम तिथि 28 दिसंबर 2017 रखी गई थी। निविदा निरस्त किए जाने से जिले के 41 नग के 60 महत्वपूर्ण कार्य रुक गए हैं। इन कार्यों में भारत के केन्द्रबिंदु का भी सौंदर्यीकरण का कार्य भी शामिल था। पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया गया कि निविदा में एकमात्र ठेकेदार द्वारा आपत्ति प्रस्तुत की गई थी। इस पर विचार किए जाने के बाद निविदा निरस्त की गई है। जबकि निविदा आफर खोले जाने के पहले कोई आपत्ति नहीं दी गई थी। आपत्ति प्री बिड मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया गया और न ही पूर्व में कोई आपत्ति दी गई। आपत्ति मैन्यूअल लिफाफे कार्यालय में जमा करने और न ही पूर्व फाइनेंशियल आफर की अंतिम तिथि को लेकर थी। यह पूरी तरह से गलत है और अधिकारियों को गुमराह करने को लेकर है। आरोप लगाया गया है कि एक ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए लगभग 35 से 40 ठेकेदारों का नुकसान किया जा रहा है। पत्रकार वार्ता में कहा गया कि निविदा में सभी ठेकेदारों के प्रत्येक टेंडर रेट पर प्रति फार्म 5 हजार से 7 हजार रुपए का व्यय हुआ है। इन रुपयों की क्षतिपूर्ति किस प्रकार से होगी। कार्य में देरी होने पर लागत में वृद्घि से शासन को प्रत्यक्ष रूप से धन हानि होगी। जिसकी वसूली और नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा। पत्रकार वार्ता में बताया गया कि जिले के लगभग 8 करोड़ 88 लाख के निर्माण कार्य निविदा निरस्त होने से प्रभावित हो रहे हैं।
निविदा प्रक्रिया को नहीं अपनाया
एक ओर जहां ठेकेदारों द्वारा जबलपुर के अधीक्षण यंत्री पर आरोप लगाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर अधीक्षण यंत्री द्वारा आरोपों को गलत बताया जा रहा है। उनका कहना है कि निविदा की प्रक्रिया के नियमों का पालन नहीं किया गया। निविदा की प्रक्रिया दूषित थी जिसमें कार्यपालन यंत्री कटनी की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है। निविदा में अनुमोदन ही नहीं कराया गया है। इसी वजह से संभाग स्तर निविदा कमेटी द्वारा निविदा को निरस्त कर दिया गया हैं साथ ही कार्यपालन यंत्री के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव भी शासन को भेजे जाने की तैयारी की जा रही है।
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निविदा की शर्तों का उल्लंघन किया गया। नियम विपरीत निविदा प्रक्रिया अपनाई गई। इसके कारण संभाग स्तरीय निविदा कमेटी ने निविदा को निरस्त कर दिया है।
-हरिसिंह झड़िया, अधीक्षण यंत्री, आरईएस जबलपुर।