
नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा। जिले के किसानों में शासन-प्रशासन के खिलाफ आक्रोश है। इस बार खरीफ दौरान एक ओर बिगड़े मौसम ने फसलों को खराब किया और दूसरी ओर उपज के कम दाम ने बची कसर को पूरा कर दिया। इसलिए अबकी बार जिले भर के परेशान किसान किसी हाईवे पर नहीं सीधे रेलवे लाइन पर बैठकर अनिश्चितकालीन स्वतंत्र किसान जनआंदोलन शुरू करने वाले हैं।
किसानों ने बताया कि इस प्रदर्शन में सभी किसान संगठनों के साथ सामाजिक संगठन भी रहेंगे। किसानों ने बताया कि पिछले दो माह से खराब हुई फसलों को लेकर क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों सहित जिला प्रशासन को हमारी व्यथा सुना रहे हैं। आवेदन-निवेदन के साथ धरना प्रदर्शन, आंदोलन सब-कुछ करके देखा, लेकिन हर बार सिर्फ झूठे आश्वासन पर बहलाया गया। अब हालात यह हो चुके हैं कि शासन से सहयोगी कोई उम्मीद नहीं रही और फसलें खराब होने से माली हालत भी खराब हो चुकी है।
पहले सोयाबीन ने साथ छोड़ा, इसके बाद मक्का से उम्मीद की तो मावठे ने उसकी हालत भी खराब कर दी। बाजार में उपज लेकर पहुंचे तो गिरे दाम ने किसानों की कमर तोड़ी। इसके बाद प्याज की ओर ध्यान गया तो बिगड़े मौसम से पहले तो उस पर कई तरह के कीट और बीमारियों का प्रकोप आया। बाद में खर्च कर उसे संभाला तो बाजार में गिरे दाम ने किसान को रोने पर मजबूर कर दिया। यही कारण है कि 15 नवंबर से किसानों ने बड़गांव गुर्जर-टिगरियाव के बीच रेलवे लाइन पर अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन शुरू करेंगे।
किसानों ने बताया कि जनआंदोलन के तहत सोयाबीन की राहत राशि, फसल बीमा के साथ ही मक्का को लेकर किसानों को एमएसपी का लाभ, प्याज को लेकर किसानों को सही दाम व इसे फसल बीमा योजना में जोड़ने के साथ ही सीसीआई द्वारा सभी किसानों की उपज खरीदी करने संबंधित विषयों को लेकर मुख्य रूप से मांग रहेगी। उन्होंने कहा कि इस बार शासन-प्रशासन की ओर से मिलने वाले आश्वासन पर आंदोलन को स्थगित नहीं करेंगे। मांगे पूरी होने के बाद ही धरना स्थल छोड़ा जाएगा। यहां तक कि जो मांगें केंद्र स्तर की होंगी तो उसके लिए भी आंदोलन स्थल पर उस स्तर के अधिकारी को आना होगा और समस्या का समाधान करना पड़ेगा। किसान सुभाष पटेल ने बताया कि फसलें खराब होने से पहले ही किसानों की हालत आत्महत्या करने जैसी हो चुकी है। अब रेलवे लाइन पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। शासन चाहे तो ट्रेन चढ़ाकर किसानों की जान ले सकती है।
जिलेभर में सात हजार के रकबे में लगी कली के प्याज की फसल पर पहले बिगड़े मौसम ने लगभग 40 प्रतिशत उत्पादन को प्रभावित किया। इसके बाद किसानों ने फसल पर दवाइयों का छिड़काव कर उसे बचाकर परिपक्व किया, लेकिन अब बाजार में इस प्याज को कोई भी चार-पांच रुपये किलोग्राम के दाम पर भी नहीं खरीद रहा है। किसानों ने बताया कि प्याज को उखड़वाने और मंडी तक लेकर जाने का खर्च भी जेब से देना पड़ रहा है। यही कारण है कि अब किसान फसल को खेतों में ही नष्ट कर रहे हैं।
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रविवार को भी ग्राम सिरपुर के किसान छितर पुत्र नंदराम ने चार एकड़ की फसल पर कल्टीवेटर चलाकर नष्ट किया। इधर, ग्राम बावड़िया के किसान राजेश पुत्र ताराचंद ने दो एकड़ की फसल में पहले भेड़ चराई और उसके बाद रोटावेटर चलाया साथ ही ग्राम कोरगला के किसान परमानंद पटेल ने साढ़े तीन एकड़ की फसल पर रोटावेटर चलाकर नष्ट किया। किसानों ने बताया कि प्याज की फसल अब परिपक्व हो चुकी है और रबी की बुआई का समय भी आ चुका है। इसलिए इसे निकालने के बजाय नष्ट कर खेत तैयार करते हुए रबी की बोवनी करना जरूरी है।