नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। स्कूलों में मध्याह्न भोजन में छुआछूत का मामला प्रकाश में आते ही अधिकारियों ने संज्ञान लिया। आधुनिक युग में इस कुरीति को अंचल के विकास और छवि के लिए सभी गलत बताने लगे। छुआछूत की सोच को बच्चों के मन से खत्म करने के लिए आला अधिकारी पहाड़गढ़ के उन स्कूलों में पहुंचे, जहां आदिवासी रसोईया के हाथ का बना मध्याह्न भोजन दूसरी जाति के बच्चे नहीं खाते।
नईदुनिया ने 20 जुलाई रविवार के अंक में ‘आदिवासी का बनाया हुआ खाना नहीं खाते दूसरी जाति के बच्चे' शीर्षक से खबर को प्रकाशित किया था। बताया गया था, कि पहाड़गढ़ विकास खंड के निचली बहाई प्राइमरी स्कूल, मरा गांव के प्राइमरी स्कूल और मानपुर के प्राइमरी-मिडिल एकल विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बनाने वाली महिलाएं आदिवासी समुदाय की हैं।
ये भी पढ़ें- चंबल में छुआछूत का दंश : आदिवासी रसोईया के हाथ का बना खाना नहीं खाते दूसरी जाति के बच्चे
इन स्कूलों में 50 से 55 प्रतिशत बच्चे आदिवासी समाज के हैं। यहां शेष 45 से 50 प्रतिशत बच्चे दूसरी जातियों के हैं। स्कूलों में रोज मध्याह्न भोजन बनता है, लेकिन दूसरी जातियों के बच्चे इसलिए मध्याह्न भोजन नहीं करते, क्योंकि उस भोजन को पकाने वाली आदिवासी महिलाएं हैं।
खबर के बाद सोमवार को जिला पंचायत सीईओ कमलेश कुमार भार्गव, बीआरसी वीरेंद्र धाकड़, जनपद अध्यक्ष के पति भाजपा नेता लाखन धाकड़ के साथ इन स्कूलों में पहुंचे। अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों ने सबसे पहले निचली बहराई प्राइमरी स्कूल में बच्चों के साथ बैठकर मध्याह्न भोजन किया। मानपुर व मरा गांव के स्कूलों में भी बच्चों के साथ बैठकर आदिवासी रसोईया द्वारा बनाया खाना खाया। जिला पंचायत सीईओ भार्गव ने अन्य जातियों के बच्चों को भी समझाइश दी और उनके साथ बैठकर भोजन किया।
निचली बहराई गांव के बाद जिला पंचायत सीईओ व अन्य अफसर मरा गांव में पहुंचे। यहां स्कूल परिसर में ही बच्चों के माता-पिता के साथ संवाद में जिपं सीईओ ने ग्रामीणों को बताया कि जब हम बाजार में महंगे से महंगे होटल में जाते हैं, तब तो बनाने वाली की जाति कोई नहीं पूछता। शहरों में यह बुराई कब की खत्म हो गई, गांवों को आगे बढ़ना है तो ऐसी कुरीति को मिटाना होगा।
जिपं सीईओ की समझाइश के बाद ग्रामीणों ने भी कहा कि अब सभी बच्चे स्कूलों में मध्याह्न भोजन करेंगे, घर से अलग से खाना नहीं भेजेंगे। अंत में ग्राम पंचायतों के सरपंच और सचिव को जिम्मेदारी दी गई, कि इस तरह की बुराई का खात्मा जागरूकता के साथ करें, अगर दोबारा कभी ऐसी स्थिति सामने आई तो सरपंच-सचिव पर कार्रवाई की जाएगी।