फोटो, 42ए-क्रांतिकारी भगवानदास की जयंती मनाते लोग
पोरसा। माहौर ग्वार्रे वैश्य समाज के क्रांतिकारी भगवानदास माहौर की जयंती गुरुवार को गांगिल इंश्योरेंस सर्विस पोरसा पर मनाई गई। इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष महेश चंद मांडिल, राधा कृष्ण गुप्ता, रधुनन्दन गुप्ता, देवेश कुमार गांगिल, कौशलकिशोर गांगिल, सुधीर कुमार गांगिल, अटल कुमार बांदिल ने शासकीय अस्पताल में फल वितरण किए। इसके साथ ही गांगिल इंश्योरेंस सर्विस दीनदयाल स्कूल वाली गली पोरसा पर भगवानदास माहौर के चित्र पर माल्यार्पण कर जयंती मनाई। इस मौके पर भगवानदास माहौर द्वारा क्रांतिकारी के रूप में जो भूमिका देश की आजादी के लिए अदा की उस पर प्रकाश डाला। मौजूद लोगों ने बताया कि क्रांतिकारी भगवानदास माहौर का जन्म 27 फरवरी 1909 को दतिया जिले के बड़ौनी गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अपने मामा नाथूराम माहौर के घर झांसी में हुई। जहां वे मास्टर रुद्रनारायण के संपर्क में आए। मास्टर के घर चन्द्रशेखर आजाद का आना जाना था। 1924 में 15 साल की उम्र में भगवानदास आजादी के इस समर में कूद पड़े। उनके साथी उन्हें कुण्ठे गुंतला नाम से जानते थे। जिस पर उन्होंने आजाद, भगत सिंह, राजगुरू के साथ कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। भगवान दास को भुसावल से 1930 में राजगुरू को हथियार पहुंचाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया। जहां से उन्हें 14 साल की सजा सुनाई गई। लेकिन 1938 में कांग्रेस का मंत्रिमंडल बनने पर उनकी रिहाई हुई। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई कर बुलंदेलखंड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर की नौकरी की। जहां उन्होंने कई किताबें लिखी। 12 मार्च 1979 में लखनऊ में चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा अनावरण के कार्यक्रम के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।