
नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। बेघर लोगों को खुद की छत मुहैया कराने के लिए 2017 में लागू की गई प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन मुरैना शहर में पांच साल बीतने के बाद भी गर्त में है। पड़ताल में कारण सामने आया कि आवास बनाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के बजट के अलावा नगर निगम को अपनी तरफ से 10 फीसद अंशदान खुद भी लगाना था, लेकिन शहर सरकार इस फंड की व्यवस्था नहीं कर पाई, नतीजा आवास योजना के आधे से अधिक आवास अभी तक अधूरे पड़े हैं।
पंजीयन कराने के बाद भी हितग्राहियों को आवासों की चाबी नहीं मिल पा रही है। इस प्रोजेक्ट की मुरैना गांव स्थित साइट पर तो नगर निगम के किसी जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी की नजर नहीं है। जबकि वहां सरकार की 14 करोड़ रुपये की पूंजी फंसी है। नगर निगम ने 2017 से 2020 के बीच मुरैना गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 96 एलआइजी व 48 ईडब्ल्यूएस आवास बनाकर 80 फीसद तैयार किए।। जयपुर की लक्ष्मी नारायण अग्रवाल कंपनी ने 144 एलआइजी आवासों के स्ट्रक्चर तैयार कर उनमें चिनाई व प्लास्टर का काम भी कंपलीट कर दिया।
48 ईडब्ल्यूएस आवास के स्ट्रक्चर भी तैयार कर दिए, लेकिन उसी दौरान नगर निगम ने ठेकेदार को एलआइजी आवास का निर्माण पूरा करने से रोक दिया गया। इसका असर ये हुआ कि अक्टूबर 2019 के बाद से ठेकेदार ने प्रधानमंत्री आवास योजना की मुरैना गांव साइट पर निर्माण कार्य बंद करा दिया। नतीजतन 2019 से दिसंबर 2022 तक 144 आवास धूल खा रहे हैं। आवासों की रखवाली के लिए ठेकेदार को एक गार्ड नियुक्त करना पड़ा है, उसका वेतन बिना बजह देना पड़ रहा है।
14 करोड़ की लागत से बनाए गए एलआइजी व ईडब्ल्यूएस आवास परिसर में आस-पास की महिलाओं ने गोबर के कंडे थापना शुरू कर दिया है। इससे आवास के मुख्य गेट पर गंदगी पसरी है। लोगों को फ्री की जगह उपलब्ध हो गई है, इसलिए उन्होंने कंडों को निर्माणाधीन आवासों में रख दिया है। क्योंकि आवासों की कोई देख-रेख नहीं है। आवास सुनसान इलाके में होने के कारण वहां मोरों ने भी अपना बसेरा कर लिया है। मुरैना गांव के लोगों का कहना है कि करोड़ों के आवास बनवाने के बाद नगर निगम का कोई अफसर साइट चेक करने आज तक मौके पर नहीं आया है।
इधर ठेकेदार का कहना है कि नगर निगम उनके बकाया 19 करोड़ का भुगतान कर दे तो मुरैना गांव की मल्टी को कंपलीट कर दिया जाएगा जिससे पंजीकृत हितग्राहियों को आवास दिए जाने की प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी।
नगर निगम ने अतरसुमा में 2020 में एलआईजी व एमआइजी आवासों का स्ट्रक्चर बनाकर 50 फीसद तैयार करा दिया लेकिन बजट संकट के दौर में उनको पूरा नहीं बना पाई। पांच साल बीतने के बाद भी एलआईजी व एमआइजी आवास अपूर्ण स्थिति में पड़े हैं लेकिन नगर निगम को बेच पाने में बैकफुट पर रहा। यदि उन आवासों को तैयार करा दिया जाता तो उनकी बिक्री से मिलने वाले राजस्व से प्रधानमंत्री आवास के अधूरे स्ट्रक्चर को पूरा कराया जा सकता था। उस समय एलआइजी को 15.50 लाख रुपए व एमआइजी को 18.50 लाख रुपये के रेट से बेचकर बेचने की बात तय की गई थी।
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प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन की पड़ताल में तथ्य सामने आए कि 2017 से लागू प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 122 करोड़ रुपये की लागत से अतरसुमा व मुरैना गांव में 1116 ईडब्ल्यूएस आवास समेत 240 एलआइजी व 60 एमआइजी आवासों का निर्माण नगर निगम को कराना था। केंद्र व राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपने अंशदान का भुगतान नगर निगम के माध्यम से ठेकेदार को कर दिया। इसमें ठेकेदार को अभी तक 70 करोड़ मिल चुके हैं जबकि ठेकेदार ने 85 करोड़ का निर्माण कार्य पूरा कर बिल, नगर निगम में सबमिट कर दिए हैं। 19 करोड़ का भुगतान लटकाने के कारण ठेकेदार अतरसुमा समेत मुरैना गांव की मल्टियों के निर्माण कार्य पूरे नहीं कर पाया।
मुरैना नगर निगम महापौर शारदा सोलंकी ने कहा कि बजट नहीं होने के कारण काम रोकना पड़ा था। बजट उपलब्ध होने के साथ अतरसुमा व मुरैना गांव के अधूरे प्रधानमंत्री आवास के निर्माण कार्यों को पूरा कराएंगे।