
नईदुनिया प्रतिनिधि, रतलाम। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने शनिवार रात राज्य सेवा परीक्षा 2023 का फाइनल परिणाम घोषित किया, जिसमें रतलाम जिले के ग्राम रावटी निवासी सिद्धार्थ मेहता (लक्की) का चयन डिप्टी कलेक्टर पद के लिए हुआ है। परिणाम घोषित होते ही सिद्धार्थ के घर और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। स्वजन और ग्रामीणों ने मिठाई खिलाकर, पुष्पहार पहनाकर तथा आतिशबाजी कर उनका स्वागत किया।
28 वर्षीय सिद्धार्थ मेहता ने बताया कि बड़े भाई श्रेयांश के प्रोत्साहन के बाद से प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना देखते थे। वे पहले पांच बार एमपीपीएससी परीक्षा दे चुके हैं। वर्ष 2019 में वे इंटरव्यू तक पहुंचे थे, लेकिन चयन नहीं हो सका था। सिद्धार्थ ने बताया कि इस बार उन्हें पूरी उम्मीद थी कि सफलता मिलेगी, और परिणाम ने उनके सपने को साकार कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी का पद समाज और देश के विकास में अहम भूमिका निभाता है। जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, उसे पूरी निष्ठा से निभाऊंगा।
स्व अध्ययन से पाई आखिरी प्रयत्न में सफलता
सिद्धार्थ ने आठवीं तक की पढ़ाई रावटी के निजी स्कूल से की। इसके बाद दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई रतलाम के निजी स्कूल से पूरी की। वर्ष 2014 में उन्होंने कॉमर्स विषय से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद साइंस एंड आर्ट्स कॉलेज से प्राइवेट माध्यम से बीकॉम की डिग्री हासिल की। स्नातक के बाद करीब डेढ़ वर्ष तक उन्होंने इंदौर के एक निजी कोचिंग संस्थान से एमपीपीएससी की तैयारी की। कोरोना काल के दौरान वे रतलाम लौट आए और स्व-अध्ययन के माध्यम से अपनी तैयारी जारी रखी।
किराने की दुकान संभालने का मन
सिद्धार्थ बताते हैं कि कोचिंग के दौरान मैंने अपने नोट्स बनाए और आगे की तैयारी उन्हीं से की। परिवार ही मेरा सबसे बड़ा मोटिवेशन रहा। अगर इस बार भी सफलता नहीं मिलती, तो पिता और भाई के साथ किराने की दुकान संभालने का मन बना लिया था।
इंटरव्यू में दिखाया आत्मविश्वास
सिद्धार्थ ने बताया कि इंटरव्यू के दौरान उनसे रतलाम जिले की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक स्थिति से संबंधित कई सवाल पूछे गए। साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यों को लेकर भी प्रश्न किए गए, जिनका उन्होंने आत्मविश्वास के साथ उत्तर दिया। हालांकि सिद्धार्थ कभी आरएसएस की गतिविधियों से नहीं जुड़े, लेकिन उन्होंने जितना जानते थे उतना आरएसएस के बारे में जवाब दिया और आगे बढ़े। सिद्धार्थ की माने तो उन्होंने कभी एमपीपीएसी के अलावा किसी और प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी नहीं की है। ना ही वे कभी किसी यूपीएससी या एमपीपीएससी पास कर पदों पर रहे अधिकारियों से मिले है। जिनसे प्रेरणा अक्सर तैयारी कर रहे छात्र लेते हैं।
परिवार और गांव में खुशी का माहौल
सिद्धार्थ के पिता शांतिलाल मेहता गांव में किराना दुकान संचालित करते हैं। बड़े भाई श्रेयांस मेहता (शेलू) भी दुकान में सहयोग करते हैं। मां ज्योति गृहिणी हैं। सिद्धार्थ का कहना है कि भाई श्रेयांस से उन्हें दसवीं कक्षा के समय से ही एमपीपीएससी की तैयारी के लिए प्रेरणा मिली थी।
उनकी सफलता की खबर मिलते ही गांव रावटी में जश्न का माहौल बन गया। बड़ी संख्या में ग्रामीण उनके घर पहुंचे और मिठाई खिलाकर बधाई दी। ढोल-ढमाके और आतिशबाजी के बीच सिद्धार्थ का स्वागत किया गया। सिद्धार्थ जैन समाज से हैं और उनकी इस उपलब्धि पर समाज के लोगों ने भी प्रसन्नता व्यक्त की।