नईदुनिया प्रतिनिधि, रतलाम। मुंबई-नई दिल्ली के बीच ट्रेनों की स्पीड 160 किमी प्रतिघंटा करने के लिए शुरू किए गए मिशन रफ्तार का असर अब दिखने वाला है। अलग-अलग सेक्शन में स्पीड बढ़ाने के लिए सभी काम होने के बाद अब ओएचई भी बेहतर की जा रही है। मिशन रफ्तार के अंतर्गत रतलाम मंडल के खाचरौद–नागदा डबल लाइन खंड में 12 अगस्त को परंपरागत ओवरहेड इक्विपमेंट (ओएचई) को अत्याधुनिक 2 बाय 25 केवी प्रणाली में अपग्रेड किया गया है।
पश्चिम रेलवे के प्रधान मुख्य विद्युत इंजीनियर रंजन श्रीवास्तव द्वाराइस नवीन प्रणाली की शुरुआत की गई। भारतीय रेल में यह पहला मौका है जब मौजूदा ओएचई प्रणाली को अपग्रेड कर 2 बाय 25 केवी प्रणाली में परिवर्तित किया गया है। अपग्रेडेशन परियोजना के तहत नागदा ट्रैक्शन सब स्टेशन बनाया गया। बिजली वितरण की दक्षता और रखरखाव में सुगमता के लिए इस प्रणाली की सुरक्षा और स्थायित्व बढ़ाने के लिए एरियल अर्थ कंडक्टर एवं फीडर वायर की भी व्यवस्था की गई है।
मौजूदा ओएचई सिस्टम के अपग्रेडेशन होने से इस सेक्शन में ट्रेनों की गति 130 किमी से बढ़कर 160 किमी प्रतिघंटा हो गई है। यह अत्याधुनिक प्रणाली न केवल उच्च गति वाली ट्रेनों के संचालन प्रशस्त करेगी, बल्कि परिचालन समयबद्धता और ऊर्जा दक्षता में भी सुधार होगा। 1478 किमी लंबे मुंबई-दिल्ली रेलमार्ग पर स्पीड बढ़ाने के लिए गत छह वर्षों से मिशन रफ्तार में काम हो रहा है। रेलमंडल रतलाम में गोधरा से रतलाम व रतलाम से नागदा सेक्शन में इसके लिए कर्व हटाने के साथ ही ब्रिज की मजबूती व ट्रैक के स्लीपर बदलने सहित अन्य काम किए गए।
पूरे रेलमार्ग का 792 किमी का हिस्सा पश्चिम रेलवे में आता है। अभी ट्रैक के दोनों ओर फेसिंग वाल बनाने का काम भी पूरा होने को है। परियोजना पूरी होने पर इसी साल 160 किमी प्रतिघंटा की स्पीड का ट्रायल हो जाएगा। इसके पहले छोटे-छोटे हिस्सों में इस स्पीड के ट्रायल हो चुके हैं। खास बात यह है कि स्पीड बढ़ने के बाद हादसे न हो, इसके लिए कवच सुरक्षा प्रणाली भी लागू की जा रही है।
इंतजाम को लेकर भी रेलवे ने नई तकनीक का सहारा लिया है। कवच तकनीक के चलते ट्रेन के आमने-सामने आने पर स्वत: ही ब्रेक लग जाएंगे। इस सुरक्षा प्रणाली के लिए एक किमी पर करीब 50 लाख रुपये जबकि प्रति लोको 70 लाख रुपये का खर्च आया है। विरार से वड़ोदरा, नागदा, गोधरा तक इसका ट्रायल भी हो चुका है।
25 हजार केवी की नई पावरलाइन डालने के साथ ही पश्चिम रेलवे क्षेत्र में 134 कर्व (मोड़) को सीधा किया जा चुका है। 160 किमी की स्पीड के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियां लगाई गई है। पटरियों के नीचे लोचदार एच-बीम स्लीपर लगाए गए हैं। स्पीड बढ़ने से मुंबई से दिल्ली के बीच का सफर 12 घंटे में पूरा हो जाएगा जबकि अभी 15 से 16 घंटे लगते हैं।
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