नईदुनिया प्रतिनिधि, सागर। विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) में आरक्षक भर्ती के दौरान फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाने वाले आरोपित सुमित गड़रिया को शनिवार को अदालत ने तीन साल की सश्रम कारावास और दो हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश प्रशांत सक्सेना की अदालत ने सुनाया।
2017 का मामला
मामला वर्ष 2017 का है। आरोपित सुमित ने एसएएफ में भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। 10 नवंबर 2017 को उज्जैन में आयोजित शारीरिक प्रवीणता परीक्षण में उत्तीर्ण होने के बाद उसका चयन हुआ और उसे 10वीं बटालियन सागर में पदस्थ किया गया। इसके बाद पुलिस मुख्यालय भोपाल में जीएस बघेल ने शिकायत दर्ज कराई कि सुमित ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी हासिल की है।
शिकायत की जांच सहायक सेनानी इंद्र सिंह परस्ते ने की। जांच में सामने आया कि सुमित ने खुद को भिंड निवासी और जाटव (अनुसूचित जाति) बताया था, जबकि हकीकत में वह उत्तर प्रदेश के इटावा का रहने वाला है और गड़रिया जाति (ओबीसी वर्ग) से संबंध रखता है। सुमित ने भिंड जिले का फर्जी पता लगाकर वहां से फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया था।
पिता ने भी माना फर्जी दस्तावेज क बारे में
सुनवाई के दौरान उसके पिता श्याम सिंह ने भी कोर्ट में माना कि सुमित गड़रिया (ओबीसी) वर्ग का है। सभी सबूतों के आधार पर कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए तीन साल का सश्रम कारावास और दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।