
अजय जैन, नईदुनिया, सागर: शहर के शुक्रवारी-शनिचरी मोहल्लों से हिंदुओं के पलायन के पीछे एक और दर्द है। यहां आए दिन होने वाली अराजकता के कारण लोग इस मोहल्ले में रिश्ता नहीं करना चाहते हैं। कई रिश्ते तो जुड़ने के बाद टूट गए, वहीं अधिकांश जगह रिश्ते की बातचीत की शुरुआत में ही लोग पीछे हट गए।
शनिचरी क्षेत्र में रहने वाले कमलेश (परिवर्तित नाम) बताते है कि वे इसी क्षेत्र के पुराने रहवासी हैं। यहां उनका ठीक-ठाक कारोबार भी है। उनका एक ही बेटा है, जिसके लिए वह चार साल से लड़की ढूंढ रहे हैं। सबकुछ ठीक होने के बावजूद रिश्ता इसलिए नहीं जुड़ रहा, क्योंकि वह शनिचरी क्षेत्र में रहते हैं। लड़की वाले कहते हैं कि वे ऐसे क्षेत्र में रहने के लिए अपनी लड़की नहीं दे सकते।
बुजुर्ग व्यापारी कहते है कि बेटे की शादी की उम्र निकल रही है लेकिन सिर्फ इस मोहल्ले में रहने के कारण बेटे का विवाह नहीं हो रहा। उनका दर्द ये था कि अब इस उम्र में वे घर बेचकर जायेंगे तो नई जगह व्यापार जमाना मुश्किल हो जाएगा।
एक अन्य रहवासी संतोष (परिवर्तित नाम) ने बताया कि पहले शनिचरी में वे जहां रहते थे, आसपास हिंदुओं के ही घर थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अधिकांश घर समुदाय विशेष के हो गए। जब बेटी की शादी के लिए कोई रिश्ता आता था और रिश्तेदार बातचीत के लिए घर आते तो वे आसपास का माहौल देखकर बिदक जाते।
सभी ने रिश्ता करने से ही मना कर दिया था। आखिर में उन्हें भी अपना मकान कम दाम में बेचकर बाहर आना पड़ा। उसके बाद ही बेटी का विवाह हो पाया। यह एक दो नहीं, दर्जनों परिवारों की यही व्यथा कथा है।
इन मोहल्लों में हिंदू घरों की कोई लड़की अकेले बाहर नहीं निकलती। ऐसा क्यों है, इसका जवाब एक बुजुर्ग अम्मा देती हैं। पूछने पर बताया कि यहां के माहौल में बेटियां निकलें भी तो कैसे। जैसे ही बाहर निकलो, लड़कों के झुंड कमेंट करने लगते है। विरोध करो तो झगड़े का डर रहता है। इसलिए मां-बाप अपने बच्चों को जब तक बहुत जरूरी न हो, बाहर निकलने ही नहीं देते।
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हिंदू जागरण मंच के डॉ.उमेश सराफ कहते है कि वह शुक्रवारी और शनिचरी क्षेत्र में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में कई बार प्रशासन से शिकायत कर चुके है, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही। अब तो यह विषय पूरे देश में चर्चा में आ गया है। यदि अब भी इन दो मोहल्लों में कानून व्यवस्था की स्थिति कायम नहीं हुई तो फिर बड़ा आंदोलन ही रास्ता होगा।