संजय पांडेय। सागर
शासन की सख्ती के बाद भी बुंदेलखंड क्षेत्र से बाल विवाह पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। स्थिति यह है कि इस साल कोरोना संक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन में भी बाल विवाह हो रहे थे, जिन्हें विशेष किशोर पुलिस इकाई व चाइल्ड लाइन की टीम ने पुलिस की मदद से रोका गया। इस सीजन में 21 अप्रैल से विवाह मुहूर्त शुरू हुए थे, जो भड़ली नवमीं 18 जुलाई तक चले। इन 88 दिन के अंतराल में जिले में 58 बाल विवाह रोके गए और बेटियों को बालिका वधू बनने से बचाया गया। कुछ ऐसे भी मामल सामने आए जहां, वधु की उम्र तो 18 से ऊपर थी लेकिन वर 21 साल से कम था। इन शादियों को भी रोका। कुछ जगह जब तक टीम मौके पर पहुंची, लेकिन बाल विवाह हो चुके थे। ऐसी जगह बेटियों को अभी विदा न करने की हिदायत दी गई। माता-पिता को समझाया गया कि बेटी के विवाह की उम्र 18 साल होती है। इसीलिए 18 साल होने पर ही बेटी की विदाई करें।
गांव के साथ-साथ नगर में भी रोके जा रहे विवाह
बाल विवाह के अधिकतर मामले ग्रामीण क्षेत्रों से सामने आते हैं, लेकिन जिला मुख्यालय पर भी कार्रवाई कर आधा दर्जन के करीब बाल विवाह रोके गए। आसपास क्षेत्रों में भी कार्रवाई की गई। वहीं तहसील व ब्लॉक मुख्यालय में भी विवाह रोके गए। सबसे अधिक बाल विवाह उन स्थानों पर रोके गए जहां धार्मिक आयोजन के साथ-साथ सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। बंडा के उल्दन व सागर के पास सानौधा में एक साथ चार-चार बाल विवाह रोके गए।
कुछ बाल विवाह टीम के पहुंचने से पहले ही हो गए
विशेष किशोर पुलिस इकाई की प्रधान आरक्षक ज्योति तिवारी ने बताया कि कुछ विवाह ऐसे भी थे, जहां हम जानकारी मिलने पर पहुंचे , लेकिन विवाह हो चुके थे। उन्होंने बताया कि मछरयाई में दुल्हा-दुल्हन दोनों नाबालिग थे। जब तक पहुंचे लड़के पक्ष वाले बाल विवाह करा के चले गए थे। मोतीनगर थाना क्षेत्र में पेट्रोल पंप के पीछे बनी कॉलोनी में 15 साल की लड़की की शादी करा दी गई। इस मामले में टीम को देर से सूचना मिली। टीम ने लड़की की विदा रुकवा दी। इसी तरह शाहगढ़ के बगरोही गांव में पूर्व सरपंच ने 10वीं में पढ़ने वाले अपने 17 साल के नाबालिग बेटे की शादी 14 मई को छतरपुर जिले के डगरई गांव में करा दी।
कुछ जगह लड़कियां ही सामने आईं
जिले में होने वाले बाल विवाह के खिलाफ कुछ जगह लड़कियां ही मुखर हुईं। जानकारी के मुताबिक बांदरी के पास एक गांव में दो सगी बहनों का विवाह हो रहा था। दोनों ही अभी पढ़ना चाहती थीं, इसीलिए पुलिस को फोन कर बाल विवाह रुकवाया दिया। इसी तरह अन्य लड़कियों ने भी किसी न किसी माध्यम से सूचना भेजकर बाल विवाह रुकवाया।
बाल विवाह के यह रहे मुख्य कारण
- मां-बाप मजदूरी के लिए बाहर दूसरे जिलों व राज्यों तक जाते हैं। इसलिए शादी करा रहे थे।
- माता- पिता के न होने पर स्वजनों द्वारा लड़की की जल्द शादी की जा रही थी।
- प्रेम-प्रसंग के चलते बेटी गलत कदम न उठा ले, इसके डर से भी कम उम्र में विवाह होते मिले
- कुछ मामलों में बेटियां ही न समझी में शादी करने की जिद कर रही थीं।
Posted By: Nai Dunia News Network