देवरीकलां। नवदुनिया न्यूज
देवरी नगर से 16 किमी दूर पनारी गांव में मां चौसठ योगिनी का मंदिर है। श्रद्घालु नवरात्र में चौसठ योगिनी माता दरबार को अद्वितीय तीर्थ मानते हैं। बरगद के वृक्ष से यहां हजारों की संख्या में लटके घंटे मां के प्रति आस्था को व्यक्त करते हैं। मां चौसठ योगिनी के दरबार तक पहुंचने के लिए नेशनल हाइवे 26 पर सागर और नरसिंहपुर मार्ग के बीच पड़ने वाले महाराजपुर से दो किलोमीटर दूरी से रास्ता है।
इतिहास
दो किमी में फैला बरगद का वृक्ष पांच हजार साल पुराना बताया जाता है, जिसे चौसठ योगिनी का स्वरूप माना गया। मां चौसठ योगिनी बरगद में से प्रगट हुई और और मां के विभिन्ना स्वरूपों की पाषण प्रतिमाएं बरगद बढ़ते स्वरूप के कारण जड़ों में जकड़ गई। 1960 में जनसहयोग से प्रतिमाओं को जीर्णशीर्ण अवस्था से निकालकर पुनर्स्थापित कराया गया। यहां चैत्र की नवरात्र में मेला का आयोजन किया जाता है, जो नवरात्र के पहले दिन से आरंभ हो गया है और 9 दिन तक चलता है।
मान्यता
मंदिर के पुजारी द्वारकाप्रसाद वैद्य का कहना है कि मां चौसठ योगिनी की महिमा अपरंपार है। यहां सागर जिले के अलावा प्रदेश व देश के कोने कोने से हजारों श्रद्घालु मां से मन्नात मांगने आते हैं, जिनकी हर मनोकामना मां पूरी करती हैं। कोई भी भक्त मां के दरबार से खाली नहीं जाता है।
प्रसिद्धि
यह बरगद का पेड़ दो किमी एरिया में फैला हुआ है। बरगद के विशाल वृक्ष की जटाओं व सभी दिशाओं में मां जगत जननी के विभिन्ना स्वरूपों में चौसठ योगिनी की प्रतिमाएं विराजमान हैं। इस तीर्थ में हजारों साल पुराने विशाल बरगद की अद्भुत उत्पत्ति, संरचना मध्यप्रदेश में अद्वितीय है। बरगद का यह एक वृक्ष फैलकर दो एकड़ भूमि में अपनी मनोहारी छटा बिखेरता है। एक वृक्ष से निकले तने से पूरे क्षेत्र में चार सौ से अधिक तने और अगिनत डालियां ही दिखाई देती हैं।
खास बात
पनारी स्थित चौसठ योगिनी धाम प्रदेश में अनूठा तीर्थ स्थल है। पनारी के लोग बताते हैं कि यहां लंबे समय से चौसठ योगिनी धाम को तीर्थस्थल घोषित करने व पर्यटन विभाग द्वारा विकसित कराए जाने की मांग कर रहे है। यह मांग कमिश्नर, कलेक्टर सहित जनप्रतिनिधियों के समक्ष भी रखी। लोगों के मुताबिक दमोह लोकसभा क्षेत्र में आने वाले इस तीर्थ क्षेत्र के सांसद प्रहलाद पटेल केंद्रीय पर्यटन मंत्री बने हैं। उनके मंत्री बनने के बाद से इस क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने की उम्मीद बढ़ गई है। यह तीर्थस्थल नौरादेही अभयारण्य के पास है। यदि इसे पर्यटन के रूप में विकसित किया जाता है तो इसका लाभ अभयारण्य आने वाले सैलानियों को भी मिलेगा।
0510 एसजीआर 1513 देवरीकलां। बरगाद के नीचे बना मां चौसठ योगिनी का मंदिर।