बीना (नवदुनिया न्यूज)। खिमलासा रोड पर सरस्वती शिशु मंदिर के पास लगे करीब 50 साल पुरानी बरगद के पेड़ को अज्ञात लोगों ने काट दिया है। इस घटना से पर्यावरण प्रेमियों में भारी आक्रोश है। शनिवार को इन लोगों ने तहसीलदार सतीश वर्मा को ज्ञापन देकर पेड़ काटने वाले दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही पेड़ काटने वाले पर बतौर जुर्माना 100 पेड़ लगवाकर उनके द्वारा ही देखरेख करने सजा देने की मांग की गई है।
दरअसल कोरोना संक्रमण काल के बाद पर्यावरण को लेकर लोगों में काफी जागरूकता बढ़ी है। शहर में बड़े स्तर पर पौधा रोपण किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में 50 साल पुराने बरगद का पेड़ काटने की घटना को लेकर लोगों में भारी आक्रोश है। बरगद के पेड़ से लोगों की धार्मिक आस्था तो जुड़ी ही है साथ ही यह पेड़ सबसे अधिक आक्सीजन देता है। इसके चलते लोग पेड़ काटने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। दोषितों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर ज्ञापन देने पहुंचे जनपद अध्यक्ष पीपी नायक ने तहसीलदार से कहा कि पेड़ काटने वालों के खिलाफ न सिर्फ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, बल्कि उनसे बरगद के 100 पेड़ लगवाए जाने चाहिए। बतौर जुर्माना उन्हें इन पौधों के देखरेख की जिम्मेदारी भी दी जानी चाहिए। इस तरह की कार्रवाई से पेड़ काटकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों में भय व्यापत होगा और वह हरे भरे पेड़ काटने से परहेज करेंगे। इसी तरह ज्ञापन देने के दौरान हरिनारायण कुशवाहा ने कहा कि बरगद का पेड़ हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। पेड़ काटने वाले पर धार्मिक भावनों को आहत करने का मामला भी दर्ज होना चाहिए।
पेड़ काटने का कारण समझ से परे
बरगद का यह पेड़ खिमलासा रोड के किनारे लगा हुआ था। इससे पेड़ किसी को नुकसान नहीं था, उल्टे तपती धूप में यह राहगीरों के लिए ठहरने के लिए आश्रय स्थल था। लेकिन बिना किसी कारण लोगों इस पेड़ को काट दिया गया है। हालांकि यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि पेड़ के ऊपर से हाइटेंशन टावर लाइन निकली हुई है। संभवतः इसी कारण से पेड़ काटा गया है। लेकिन यह बात समझ से परे है कि पेड़ लाइन के बीच में पर्याप्त अंतर था, बावजदू इसके 50 साल पुराने बरगद के पेड़ को क्यों काट दिया गया।