नईदुनिया प्रतिनिधि, श्योपुर। भारत में चीता प्रोजेक्ट के 17 सितंबर को तीन साल पूरे होने से ठीक पहले मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से चिंताजनक खबर सामने आई है। यहां पहली बार तेंदुए और चीते के बीच संघर्ष की घटना दर्ज हुई है। इसमें तेंदुए ने ज्वाला नामक चीता की शावक को मार डाला।
सोमवार शाम करीब साढ़े छह बजे 20 माह की शावक मृत अवस्था में मिली। यह वही शावक थी जिसे 21 फरवरी 2025 को उसकी मां ज्वाला और तीन भाई-बहनों के साथ जंगल में छोड़ा गया था। कुछ समय पहले उसने मां का साथ छोड़ा और हाल ही में भाई-बहनों से भी अलग हो गई थी।
सीसीएफ सिंह परियोजना अधिकारी उत्तम कुमार शर्मा के अनुसार, "ज्वाला की यह शावक अब स्वतंत्र रूप से रह रही थी। प्रारंभिक जांच में उसकी मौत का कारण तेंदुए से संघर्ष माना जा रहा है, हालांकि इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से होगी।"
26 चीते बचे हैं
फिलहाल कूनो में कुल25 चीते बचे हैं, जिनमें 9 वयस्क (6 मादा और 3 नर) और 16 भारतीय मूल के चीते शामिल हैं। इसके अलावा 2 चीते मंदसौर के गांधीसागर अभयारण्य में हैं।
कूनो में इससे पहले भी कई चीतों और शावकों की मौत हो चुकी है, लेकिन तेंदुए के हमले से मौत का यह पहला मामला है। बताया जा रहा है कि कूनो और मुरैना सीमा के जंगलों में बड़ी संख्या में तेंदुए पाए जाते हैं। चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत में बाड़ों से तेंदुओं को हटाया गया था, मगर जंगल में छोड़ने के बाद अंततः इनका आमना-सामना हो गया। चीता परियोजना के अधिकारियों का कहना है कि आगे सघन निगरानी की जाएगी ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।