
नईदुनिया प्रतिनिधि, सिवनी। हवाला के तीन करोड़ रुपये डकैती मामले में मुख्य आरोपित एसडीओपी पूजा पांडे की जमानत याचिका पर 25 अक्टूबर शनिवार की शाम निर्णय देते हुए जिला अदालत की विशेष न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया है।
24 अक्टूबर को एसडीओपी के अधिवक्ताओं ने जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान एसडीओपी के दो साल के बेटे को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों को सत्र न्यायालय में रखा था। एसडीओपी के अधिवक्ता असीम द्विवेदी ने कहा था कि बच्चे को अच्छा वातावरण मिले यह उसका मौलिक अधिकार है।
इसके अलावा हवाला रुपयों की जब्ती के बाद डकैती की धाराओं में पृथक से केस दर्ज करने इत्यादि तर्क भी विशेष सत्र न्यायालय में रखे गए थे। प्रकरण शासन की ओर से अभियोजन विभाग के उपसंचालक गोपाल कृष्ण हल्दर ने उपस्थित होकर जमानत याचिका के खिलाफ तर्क प्रस्तुत किए थे।
वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता वीरेन्द्र शर्मा, असीम द्विवेदी, सुशील तिवारी, अंशुल सिंह राजपूत ने अपने तर्क रखे। जमानत याचिका पर बहस के बाद विशेष सत्र न्यायालय ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था।
जिला न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने पर अब बचाव पक्ष को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा। सभी आरोपित 11 पुलिस कर्मियों को 17 अक्टूबर को जिला न्यायालय से 30 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है। एसडीओपी पूजा पांडे के वकील ने जिला न्यायालय में जमानत अर्जी लगाई गई थी।
हालांकि एसआई अर्पित भैरम व अन्य पुलिस कर्मियों की ओर से जमानत याचिका लेकर कोई भी जिला सत्र न्यायालय अभी नहीं पहुंचा है। वहीं जिला जेल में निरूद्ध एसडीओपी सहित सभी 11 पुलिस कर्मियों को जिले की बाहर अन्य जेल में स्थानांतरित करने जेल प्रशासन ने आवेदन जिला न्यायालय में लगाया है।
इस पर सोमवार को निर्णय हो सकता है। न्यायालय से स्वीकृति मिलने के बाद प्रस्ताव बनाकर भोपाल मुख्यालय भेजा जाएगा, जहां से तय होगा कि आरोपित एसडीओपी व अन्य पुलिस कर्मी को किस जेल में स्थानांतरित किया जाए।
पुलिसकर्मियों के संदिग्ध आचरण को देखते हुए सिवनी एसडीओपी पूजा पांडे, बंडोल थाना प्रभारी एसआई अर्पित भैरम, आरक्षक माखन इवनाती, जगदीश यादव, योगेन्द्र चौरसिया, केदार बघेल, सुभाष सदाफल, नीरज राजपूत, रविन्द्र, रितेश व प्रधान आरक्षक राजेश जंघेला को पहले निलंबित किया गया।
इसके बाद लखनवाड़ा थाना में 11 पुलिसकर्मियों पर हवाला के रुपयों की डकैती करना, गलत तरीके से रोकना, अपहरण व आपराधिक षड़यंत्र की धारा के तहत एफआईआर को दर्ज किया गया। इसके बाद सभी को गिरफ्तार किया गया। दो दिन तक एसआइटी ने रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ की थी।