
संजय अग्रवाल, नईदुनिया सिवनी (Seoni News)। वन्यप्राणियों को ’आबाद’ करने और आपसी द्वंद (संघर्ष) को कम करने कर्माझिरी गांव के ग्रामीणों ने अपनी जन्मभूमि सहित घर-वार छोड़ने राजी हो गए हैं। पेंच राष्ट्रीय उद्यान के गेट पर स्थित वनग्राम में कई दशकों से निवासरत लोगों ने एक सप्ताह पहले हुई आमसभा की बैठक में स्वेच्छा से विस्थापन पर अपनी सहमति दी है। यहा रहने वाले परिवारों को पेंच टाइगर रिजर्व के कर्माझिरी गेट से कुछ किलोमीटर दूर स्थित जोगीवाड़ा गांव में बसाया जाएगा।
कोर क्षेत्र से लगे कर्माझिरी गांव में करीब 450 एकड़ रकबे में खेती होती है। विस्थापन से वन्यप्राणियों के लिए यहां घास के नये मैदान तैयार हो सकेंगे। पुन: विस्थापित की प्रक्रिया में तेजी लाने 26 जुलाई 2022 को राज्य सरकार द्वारा पेंच टाइगर रिज़र्व के सीमावर्ती वन क्षेत्र को शामिल किया था।
नवीन कर्माझिरी अभयारण्य का गठन करने की अधिसूचना जारी कर दी थी। अधिसूचना जारी होने के बाद कर्माझिरी गांव से विस्थापित होने वाले ग्रामीणों को जोगीवाड़ा में पक्का घर व खेती के लिए भूमि उपलब्ध कराने का रास्ता साफ हो गया है।
अधिकारियों के अनुसार री-लोकेट (पुर्नविस्थापन) होने से जितना लाभ कर्माझिरी के ग्रामीणों को मिलेगा, उतना ही फायदेमंद पेंच पार्क प्रबंधन के लिए होगा। जंगल की कोर बाउंड्री (पत्थरों की दीवार) से सटे खेत के साथ आबादी क्षेत्र तक वन्यप्राणियों की घुसपैठ रहती है। फसल नुकसान से जहां किसान हताश हैं, तो रात में ग्रामीणों का घर से निकलना खतरनाक होता है।
किसानों को खेतों में जान जोखिम में डालकर किसानी कार्य करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वन्यप्राणी कब हमला कर दें, इसका अनुमान लगाना मुश्किल होता है। शाम ढलते ही बाघ व दूसरे हिंसक वन्यप्राणी खेतों के आसपास घूमते दिखाई देते हैं। पालतू मवेशियों के शिकार की संभावना बनी रहती है। गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे बुनियादी ढांचों की कमी भी एक बड़ी समस्या है।
पुर्नविस्थापन पर एक परिवार (एक यूनिट) को कैंपा फंड से 10 लाख रुपये की राशि एक मुश्त खाते में देने का प्रस्ताव रखा गया था। लेकिन केंद्र सरकार ने यह राशि बढ़ाकर अब 15 लाख रुपये कर दी है। केंद्र सरकार की शर्तो के अनुसार विस्थापित प्रत्येक परिवार को एक मुश्त 15 लाख रुपये दिए जाएंगे। यदि परिवार नकद राशि नहीं लेना चाहता है, तो उसे पुर्नविस्थापन के लिए चिंहित गांव में ढाई हेक्टेयर (करीब 5 एकड़) भूमि खेती के लिए दी जाएगी।
मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखते हुए घर उपलब्ध कराया जाएगा। दक्षिण सामान्य वनमंडल के रूखड़ वन परिक्षेत्र के जोगीवाड़ा बीट स्थित कक्ष क्र. 436 व 437 में 160 हेक्टेयर जमीन को नया गांव बसाने चिंहित किया गया है। पुर्नविस्थापित होने वाले ग्रामीणों के लिए मूलभूत सुविधाएं रोड, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल इत्यादि की व्यवस्था की जाएगी।
आठ साल पहले हुए सर्वे में कर्माझिरी में 138 परिवारों ने पुर्नविस्थापन पर सहमति जताई थी। बस्ती में 50 कच्चे-पक्के घर हैं, जिसकी आबादी लगभग 300 होगी। पति-पत्नि व 18 साल से कम उम्र के बच्चों को एक यूनिट (परिवार) माना गया है। इसके अलावा विकलांग, विधवा महिला, परित्यक्ता महिला को भी एक परिवार यूनिट का दर्जा दिया गया है।
कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा कर्माझिरी में निवासरत परिवारों का विस्तृत सर्वे किया जाएगा। इसके बाद स्पष्ट होगा कि वर्तमान में कितने यूनिट परिवार यहां निवासरत हैं। प्रत्येक परिवार को एक यूनिट मानकर कैंपा फंड से विस्थापन राशि दी जाएगी। विस्थापित होने वाले 50 प्रतिशत राशि लेने तैयार हैं जबकि 50 प्रतिशत घर और खेती के लिए जमीन की मांग कर रहे हैं।
एक सप्ताह पहले आयोजित आमसभा में कर्माझिरी के ग्रामीणों ने पुर्नविस्थापन पर अपनी सहमति दे दी हैं। केंद्र सरकार से स्टेज-1 की स्वीकृति मिल चुकी है। ग्रामीणों की सहमति के बाद स्टेज-2 की स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। कोर एरिया के करीब बसे कर्माझिरी वनग्राम के री-लोकेट होने से जंगल का दायरा बढ़ेगा, मानव हस्तक्षेप में कमी आएगी। शाकाहारी व मांसाहारी वन्य-प्राणियों को अतिरिक्त रहवास स्थल उपलब्ध हो सकेगा।
रजनीश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर पेंच नेशनल पार्क सिवनी