MP के उच्चशिक्षा मंत्री परमार के बिगड़े बोल, राजा राममोहन राय को बता दिया अंग्रेजों का दलाल और फर्जी समाज सुधारक
प्रदेश के उच्चशिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल बताया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन मिशनरी स्कूलों के जरिए लोगों की आस्था बदलने का कुचक्र चला रहा था। इसी साजिश का हिस्सा राजा राममोहन राय भी थे।
Publish Date: Sun, 16 Nov 2025 12:28:24 AM (IST)
Updated Date: Sun, 16 Nov 2025 12:28:24 AM (IST)
MP के उच्चशिक्षा मंत्री परमार के बिगड़े बोलHighLights
- इंदरसिंह परमार ने राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल बताया
- अंग्रेजी शासन मिशनरी स्कूलों की साजिश में राजा राममोहन राय भी थे
- उन्होंने कहा कि आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को दबाया गया
नईदुनिया प्रतिनिधि ,आगर मालवा। प्रदेश के उच्चशिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल बताया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासन मिशनरी स्कूलों के जरिए लोगों की आस्था बदलने का कुचक्र चला रहा था। इसी साजिश का हिस्सा राजा राममोहन राय भी थे। दावा किया कि धर्मांतरण के खिलाफ सबसे बड़ा संघर्ष बिरसा मुंडा ने किया और आदिवासी समाज को बचाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। उस दौर में अंग्रेजों के संचालित मिशनरी स्कूल ही शिक्षा का साधन थे, जहां धर्मांतरण की कोशिशें होती थीं। कई लोगों को अंग्रेजों ने फर्जी समाज सुधारक बनाकर पेश किया। इसी क्रम में उन्होंने राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल बताया।
आदिवासी नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को दबाया
मंत्री परमार ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने असली आदिवासी नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को दबाया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने धर्मांतरण की राह आसान की, उन्हें महान बताया गया और असली वीरों को पीछे रखा गया।
बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई
कार्यक्रम सामुदायिक भवन गांधी उपवन में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि उच्चशिक्षा मंत्री परमार ने भगवान बिरसा मुंडा को शौर्य एवं पराक्रम का अद्वितीय प्रतीक बताया। कहा कि बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम की अलख जगाई और समाज को संगठित कर मातृभूमि के लिए बलिदान देने वाले अनेक सेनानी तैयार किये। उन्होंने आदिवासी समाज को जल, जंगल और जीन के अधिकार दिलाने के लिए कठोर संघर्ष किया। मात्र 15 वर्ष की आयु में आंदोलन की शुरुआत कर 25 वर्ष की अल्पायु में क्रांति की ऐसी ज्वाला जगाई, जिसकी आभा आज भी प्रेरणा देती है।
कार्यक्रम में बिरसा मुंडा के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन का सीधा प्रसारण भी देखा-सुना गया। स्कूली छात्र-छात्राओं ने आदिवासी संस्कृति से ओतप्रोत सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देकर समा बाँध दिया।