- कोरोना से जंग : खो गई शादियों की धूम, बिना बैंड बाजे हो रहे समारोह
शाजापुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना वायरस की रोकथाम और बचाव के प्रयासों के चलते विवाह-बरात की धूम भी खो गई है। अब अगर कि सी मोहल्ले में ही शादी हो रही हो तो कु छ दूरी पर रहने वाले लोगों को ही पता नहीं चलता। सादगी के साथ सिर्फ गिनती के रिश्तेदारों की मौजूदगी में विवाह की रस्में और बहू का स्वागत या बेटी की विदा हो रही है।
मक्सूदनगढ़ रवाना हुई बरात
शहर के लक्ष्मीनगर में शनिवार दोपहर के समय बरात मक्सूदनगढ़ रवाना होने की तैयारी थी, कि ंतु वाहनों की कतार की बजाय सिर्फ सजी-धजी एक कार थी जिसमें दूल्हा और नजदीकी रिश्तेदार दुल्हन के गांव जाने वाले थे। दूल्हे मनीष के वट ने बताया कि बीमारी से बचाव के नाम पर ही सही, कि ंतु यह अच्छी पहल हुई है। विवाह में बढ़-चढ़कर लोग खर्चा करते हैं। कई परिवार कर्ज भी ले लेते हैं, जिसे चुकाने में उन्हें काफी समय लगता है। हमारे परिवार में भी कु छ लोग बीमारी की समस्या खत्म होने और हालात सामान्य होने के बाद धूमधाम से विवाह करने की इच्छुक थे, कि ंतु मैंने और घर के बड़े लोगों ने सादगी के साथ विवाद करने का फै सला लिया। मैं लोगों से यही कहना चाहूंगा कि फिजूलखर्ची रोकी जानी चाहिए। सरकार हमारे लिए तमाम कवायद कर रही है तो हमें भी उनके दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। शुक्रवार देर रात कोतवाली पुलिस टीम भी दूल्हे के घर पहुंची थी और उसे बधाई, शुभकामनाएं दी।
23 एसजेआर 16-बरात रवाना होने से पहले तैयार दूल्हा मनीष।
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उज्जैन जिले से आई बरात
शहर के ज्योति नगर निवासी मालवीय परिवार की बिटिया की की शादी लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए हुई। यहां पर दूल्हा सिर्फ गिनती के बारातियों के साथ पहुंचा। घर पर ही शादी की रस्में निभाई गई। जानकारी अनुसार माया पुत्री मांगीलाल मालवीय का विवाह उज्जैन जिले के घट्टिया निवासी रितेश पुत्र हिरालाल मालवीय से हुआ। विवाह के लिए पहले से ही परमिशन ले ली गई थी, इसलिए सारे इंतजाम उसी तरह कि ए गए। दोपहर दो बजे बरात आई और चार बजे तक विवाह की रस्म निभाई गई। विवाह की रस्मों के दौरान दूल्हा, दुल्हन सहित मौजूद रिश्तेदारों ने मास्क लगा रखे थे।
23 एसजेआर 17-मास्क लगाए हुए दुल्हा रितेश व दुल्हन माया।
आगे भी जारी रहे यह चलन
जागरुक लोगों का कहना है कि कोरोना वायरस के प्रभाव को रोकने के चलते विवाह या अन्य समारोह पर जो फिजूल खर्ची कम हुई है। वह आगे भी जारी रहे। इसके लिए हम लोगों को प्रयास करना होगा। बीमारी के खौफ से ही सही यह अच्छी शुरुआत हुई है। अब शादी का मतलब है 'नो बैंड, बाजा और बरात.' लॉकडाउन के चलते ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक है। समाज के वरिष्ठों का आगे आकर इसे परंपरा बनानी चाहिए।